केंद्र सरकार ने अमेरिकी टैरिफ के असर से निपटने और भारतीय निर्यातकों को राहत देने के लिए बड़ा कदम उठाया है। सरकार ने कुल ₹45,060 करोड़ की दो प्रमुख योजनाओं को मंजूरी दी है, जिनका उद्देश्य अमेरिकी बाजार में बढ़े टैरिफ के कारण प्रभावित उद्योगों को सहारा देना और भारत की निर्यात क्षमता को मजबूत बनाना है। हाल ही में अमेरिका ने कई उत्पादों पर 10 से 50 प्रतिशत तक के आयात शुल्क बढ़ाए थे, जिससे भारत के वस्त्र, चमड़ा, आभूषण, इंजीनियरिंग और समुद्री उत्पादों जैसे निर्यात-प्रधान सेक्टर पर गहरा असर पड़ा। इन परिस्थितियों में केंद्र ने यह आर्थिक पैकेज तैयार किया है ताकि छोटे और मध्यम उद्योगों को वित्तीय सहारा मिल सके और वे अंतरराष्ट्रीय बाजारों में प्रतिस्पर्धा बनाए रख सकें।
सरकार की पहली योजना “निर्यात संवर्धन मिशन (Export Promotion Mission)” है, जिसके तहत लगभग ₹25,060 करोड़ की राशि खर्च की जाएगी। इस मिशन का फोकस उन क्षेत्रों पर होगा जो अमेरिकी टैरिफ से सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं। योजना के अंतर्गत निर्यातकों को गुणवत्ता सुधार, ब्रांडिंग, पैकेजिंग, लेबलिंग, प्रशिक्षण और लॉजिस्टिक सपोर्ट जैसी सुविधाएँ दी जाएँगी। इसके अलावा निर्यात उत्पादों के विविधीकरण और नए बाजारों की खोज के लिए भी सहायता प्रदान की जाएगी। यह मिशन आने वाले छह वर्षों में चरणबद्ध तरीके से लागू किया जाएगा ताकि निर्यातकों को दीर्घकालिक लाभ मिल सके।
दूसरी योजना के तहत ₹20,000 करोड़ की क्रेडिट-गारंटी और वित्तीय सहायता योजना शुरू की जा रही है। इसका उद्देश्य छोटे और मझोले निर्यातकों को बिना संपार्श्विक (collateral-free) ऋण उपलब्ध कराना है, जिससे वे अपने व्यवसाय की ज़रूरतों और कार्यशील पूंजी की मांग को पूरा कर सकें। बैंकिंग संस्थानों के माध्यम से यह ऋण सुविधा आसान शर्तों पर दी जाएगी ताकि निर्यातकों की नकदी समस्या दूर हो सके और उत्पादन बाधित न हो।
सरकार का कहना है कि यह पैकेज केवल अस्थायी राहत नहीं बल्कि दीर्घकालिक निर्यात सुधार की दिशा में एक रणनीतिक कदम है। इन योजनाओं के जरिये भारत अपने उत्पादों की गुणवत्ता, लागत नियंत्रण और ब्रांड वैल्यू में सुधार कर वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा बढ़ाना चाहता है। साथ ही, सरकार अन्य देशों के साथ व्यापारिक बातचीत जारी रखेगी ताकि टैरिफ विवादों को सुलझाकर भारतीय निर्यातकों को स्थिर और सुरक्षित बाजार उपलब्ध कराया जा सके।
आर्थिक विशेषज्ञों का मानना है कि यह पैकेज भारतीय निर्यात क्षेत्र के लिए “संजीवनी” साबित हो सकता है। इससे न केवल अमेरिकी टैरिफ के दुष्प्रभाव कम होंगे बल्कि भारत को नए व्यापारिक अवसर भी मिलेंगे। सरकार ने साफ किया है कि योजनाओं का क्रियान्वयन जल्द शुरू होगा और फंड आवंटन, प्राथमिक सेक्टरों की पहचान तथा निगरानी के लिए विशेष समितियाँ गठित की जाएँगी। यह कदम भारतीय अर्थव्यवस्था को मजबूत करने और निर्यातकों को वैश्विक चुनौतियों से बचाने की दिशा में एक ठोस प्रयास माना जा रहा है।













