GRAP को लेकर जयराम रमेश का सवाल— क्या सरकार केवल संकट आने पर ही जागती है?

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दिल्ली-एनसीआर में लगातार बढ़ते वायु प्रदूषण को लेकर कांग्रेस नेता और पूर्व पर्यावरण मंत्री जयराम रमेश ने सरकार पर कड़ी आलोचना की है। उन्होंने कहा कि दिल्ली में लागू Graded Response Action Plan (GRAP) केवल एक अस्थायी और प्रतिक्रियात्मक व्यवस्था है, जिससे प्रदूषण की समस्या का स्थायी समाधान संभव नहीं है। रमेश ने कहा कि सरकार हर साल अक्टूबर-नवंबर में प्रदूषण बढ़ने पर GRAP के चरण लागू कर अपनी जिम्मेदारी पूरी समझ लेती है, जबकि असल जरूरत पूरे साल लगातार प्रदूषण नियंत्रण के उपाय करने की है।

उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने वर्ष 2017 में GRAP को लागू करने का आदेश इस उद्देश्य से दिया था कि जब वायु गुणवत्ता बेहद खराब हो जाए, तब आपात स्थिति में तुरंत कदम उठाए जा सकें। लेकिन इसे स्थायी नीति के रूप में अपनाना गलत है। रमेश के मुताबिक, “दिल्ली में प्रदूषण की समस्या का हल केवल तब नहीं निकाला जा सकता जब AQI 400 पार कर जाए, बल्कि पूरे वर्ष उत्सर्जन को कम करने के लिए योजनाबद्ध और सख्त कार्रवाई करनी होगी।”

कांग्रेस नेता ने सुझाव दिया कि सरकार को वाहनों और उद्योगों से निकलने वाले उत्सर्जन पर कड़ा नियंत्रण लगाना चाहिए, पराली जलाने पर स्थायी समाधान निकालना चाहिए और सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था को अधिक प्रभावी बनाना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार का रुख “क्राइसिस मैनेजमेंट” तक सीमित है, जबकि जरूरत “क्राइसिस प्रिवेंशन” यानी प्रदूषण बढ़ने से पहले रोकथाम की है।

पर्यावरण विशेषज्ञों का भी मानना है कि केवल GRAP जैसे तात्कालिक उपायों से समस्या का समाधान नहीं होगा। उनके अनुसार, दिल्ली-एनसीआर में दीर्घकालिक योजनाओं के तहत स्वच्छ ऊर्जा का उपयोग, उद्योगों में प्रदूषण नियंत्रण उपकरणों की अनिवार्यता, और पराली प्रबंधन के लिए किसानों को स्थायी विकल्प देना ही भविष्य में हवा को स्वच्छ बना सकता है। जयराम रमेश की यह टिप्पणी एक बार फिर इस बहस को तेज कर देती है कि क्या सरकारें सिर्फ मौसमी उपायों पर भरोसा करती रहेंगी या फिर पूरे साल प्रदूषण नियंत्रण को लेकर ठोस कदम उठाएंगी।

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