गन्ना किसानों के हक़ की लड़ाई: बीजेपी ने कहा – सिद्धारमैया अगर शासन नहीं कर सकते तो इस्तीफा दें

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कर्नाटक में गन्ना किसानों का आंदोलन इन दिनों उग्र रूप ले चुका है। राज्य के बेलगावी, विजयनगर, मंड्या और बागलकोट जैसे जिलों में हजारों किसान सड़क पर उतर आए हैं। किसानों की प्रमुख मांग है कि चीनी मिलों द्वारा गन्ने की खरीद के लिए प्रति टन कम से कम ₹3,500 की दर तय की जाए। किसानों का कहना है कि मौजूदा दरें उनकी लागत और उत्पादन खर्च को पूरा करने में असमर्थ हैं। उन्होंने चेतावनी दी है कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होतीं, वे आंदोलन जारी रखेंगे। कई स्थानों पर किसानों ने सड़कों और राजमार्गों को जाम कर दिया है, जिससे परिवहन और उद्योग पर असर पड़ा है। बेलगावी और आसपास के इलाकों में मिलों ने अस्थायी रूप से उत्पादन रोक दिया है, जिससे स्थिति और गंभीर हो गई है।

इस बीच, आंदोलन ने राजनीतिक रंग भी ले लिया है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने राज्य की कांग्रेस सरकार पर तीखा हमला करते हुए कहा है कि मुख्यमंत्री सिद्धारमैया किसानों की समस्याओं का समाधान करने में पूरी तरह विफल रहे हैं। भाजपा नेताओं ने कहा कि यदि मुख्यमंत्री शासन नहीं संभाल पा रहे हैं तो उन्हें तुरंत पद से इस्तीफा दे देना चाहिए। भाजपा ने यह भी आरोप लगाया कि राज्य सरकार किसानों की आवाज़ को दबाने की कोशिश कर रही है और यह उसकी संवेदनहीनता का प्रमाण है। पार्टी नेताओं ने राज्य सरकार से तुरंत किसानों से बातचीत कर समाधान निकालने की मांग की है।

दूसरी ओर, मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने आंदोलन की गंभीरता को स्वीकार करते हुए कहा कि सरकार किसानों की समस्याओं के प्रति संवेदनशील है और जल्द ही समाधान के लिए कदम उठाए जा रहे हैं। उन्होंने किसान संगठनों और चीनी मिल मालिकों के साथ बैठक बुलाई है ताकि एक सर्वमान्य निर्णय लिया जा सके। मुख्यमंत्री ने केंद्र सरकार से भी हस्तक्षेप की अपील की है, क्योंकि चीनी उद्योग से संबंधित कई निर्णय केंद्र स्तर पर लिए जाते हैं। सिद्धारमैया ने कहा कि राज्य सरकार किसानों के हित में कोई भी समझौता नहीं करेगी और वह शांति और बातचीत के माध्यम से विवाद सुलझाना चाहती है।

फिलहाल, आंदोलन से राज्य के औद्योगिक और कृषि क्षेत्रों पर असर पड़ा है। कई जिलों में मिलों का संचालन बाधित है और गन्ना आपूर्ति श्रृंखला प्रभावित हुई है। किसान संगठनों ने साफ कहा है कि यदि सरकार ने उनकी मांगें जल्द नहीं मानीं, तो आंदोलन और तेज़ किया जाएगा। वहीं, राज्य सरकार ने किसानों से अपील की है कि वे शांतिपूर्ण तरीके से अपनी मांगें रखें और बातचीत के माध्यम से समाधान की प्रक्रिया में सहयोग करें। इस पूरे घटनाक्रम ने राज्य की राजनीति में नई हलचल पैदा कर दी है, जहां एक ओर विपक्ष सरकार को घेरने में जुटा है, वहीं सरकार किसानों को संतुष्ट करने के लिए लगातार प्रयासरत है।

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