असम में कांग्रेस की बैठक में ‘बांग्लादेश राष्ट्रगान’ गाने का आरोप, राज्य सरकार ने जांच के दिए आदेश

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असम में कांग्रेस सेवा दल की एक बैठक के दौरान कथित रूप से बांग्लादेश का राष्ट्रगान “आमार सोनार बांग्ला” गाए जाने के आरोप ने राज्य की राजनीति में हलचल मचा दी है। घटना का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, जिसमें एक व्यक्ति को बैठक के दौरान इस गीत की कुछ पंक्तियाँ गाते हुए देखा जा सकता है। यह गीत नोबेल पुरस्कार विजेता रविंद्रनाथ टैगोर द्वारा रचित है और वर्तमान में बांग्लादेश का राष्ट्रगान है। जैसे ही वीडियो सामने आया, भाजपा नेताओं और कई संगठनों ने इस पर कड़ी आपत्ति जताई और कांग्रेस पर असम की अस्मिता और भारतीय संवेदनशीलता को ठेस पहुँचाने का आरोप लगाया।

राज्य सरकार ने इस विवाद को गंभीरता से लेते हुए जांच के आदेश दे दिए हैं। असम के मत्स्य पालन मंत्री कृष्णेंदु पॉल ने बताया कि वीडियो की सत्यता की जांच की जा रही है और यदि आरोप सही पाए गए तो संबंधित लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा कि यह मामला केवल राजनीतिक नहीं बल्कि सांस्कृतिक और संवैधानिक दृष्टि से भी संवेदनशील है, इसलिए प्रशासन को पूरी निष्पक्षता के साथ जांच करने के निर्देश दिए गए हैं।

वहीं, कांग्रेस ने इन आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए कहा है कि भाजपा इस मामले को बेवजह राजनीतिक रंग दे रही है। स्थानीय कांग्रेस जिला अध्यक्ष तापस पुरकायस्थ ने स्पष्ट किया कि 85 वर्षीय वरिष्ठ नागरिक बिधु भूषण दास ने केवल रविंद्रसंगीत की दो पंक्तियाँ गाई थीं, जिसे गलत अर्थ में प्रस्तुत किया गया। उन्होंने कहा कि रविंद्रनाथ टैगोर भारतीय साहित्य और संस्कृति के प्रतीक हैं, और उनके गीतों को किसी एक देश की सीमा में नहीं बाँधा जा सकता।

कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने भी इस पूरे मामले पर नाराज़गी जताई और भाजपा पर मुद्दों से ध्यान भटकाने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि राज्य की असली समस्याएँ जैसे बेरोजगारी, महंगाई और बाढ़ प्रबंधन पर चर्चा करने के बजाय सत्तारूढ़ दल लोगों की भावनाओं से खेलने में लगा है। गोगोई ने कहा कि कांग्रेस हमेशा भारतीय संस्कृति और एकता के प्रति समर्पित रही है, और इस तरह के आरोप निराधार हैं।

घटना पर स्थानीय लोगों और सोशल मीडिया उपयोगकर्ताओं के बीच भी बहस तेज हो गई है। कुछ लोगों ने इसे एक सांस्कृतिक कार्यक्रम के संदर्भ में देखा, जबकि अन्य ने विदेशी राष्ट्रगान गाने को अनुचित बताया। प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि वीडियो की प्रामाणिकता की जांच पूरी होने के बाद ही किसी भी तरह का निर्णय लिया जाएगा। फिलहाल यह मामला असम की राजनीति में एक नया विवाद बन गया है, जिसमें सांस्कृतिक और राजनीतिक दोनों ही पहलू शामिल हैं।

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