भारत-जापान संबंधों को नई दिशा: प्रधानमंत्री मोदी और जापान की नई प्रधानमंत्री सनाए तकाइची के बीच सार्थक बातचीत

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जापान की नई प्रधानमंत्री सनाए तकाइची को पद संभालने पर बधाई दी और उनके साथ टेलीफोन पर महत्वपूर्ण बातचीत की। यह वार्ता दोनों देशों के बीच दशकों से चली आ रही “विशेष रणनीतिक और वैश्विक साझेदारी” को नई गति देने की दिशा में एक अहम कदम मानी जा रही है। दोनों नेताओं ने भारत और जापान के बीच सुरक्षा, निवेश, प्रौद्योगिकी, नवाचार और लोगों के बीच संपर्क को मजबूत करने पर सहमति जताई। बातचीत के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने जापान के साथ दीर्घकालिक साझेदारी को और गहराई देने की इच्छा व्यक्त की, वहीं प्रधानमंत्री तकाइची ने भारत को इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में एक विश्वसनीय और रणनीतिक साझेदार बताया।

वार्ता में दोनों देशों ने “फ्री एंड ओपन इंडो-पैसिफिक” (Free and Open Indo-Pacific) के सिद्धांत को आगे बढ़ाने के लिए मिलकर काम करने पर जोर दिया। यह सहयोग न केवल क्षेत्रीय सुरक्षा को सुदृढ़ करेगा, बल्कि क्वाड समूह (भारत, जापान, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया) के भीतर भी सामंजस्य बढ़ाएगा। दोनों नेताओं ने इस बात पर सहमति जताई कि तेजी से बदलते वैश्विक परिदृश्य में भारत और जापान के बीच समन्वय आर्थिक सुरक्षा, तकनीकी विकास और आपसी निवेश के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। इसके साथ ही, प्रतिभा आदान-प्रदान (Talent Mobility) और कौशल विकास के क्षेत्रों में भी सहयोग को बढ़ावा देने पर विशेष ध्यान देने की बात कही गई।

जापान की नई प्रधानमंत्री सनाए तकाइची ने अक्टूबर 2025 में देश की पहली महिला प्रधानमंत्री के रूप में पदभार संभाला है। उनका नेतृत्व जापान की विदेश नीति में आर्थिक सुरक्षा, तकनीकी नवाचार और रणनीतिक साझेदारी को केंद्र में रखने के लिए जाना जा रहा है। मोदी-तकाइची वार्ता से यह स्पष्ट संकेत मिला कि दोनों देश आगामी वर्षों में क्षेत्रीय और वैश्विक स्तर पर स्थिरता, शांति और आर्थिक प्रगति के लिए मिलकर काम करेंगे। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत-जापान साझेदारी न केवल दोनों देशों की जनता के लिए, बल्कि पूरे एशिया-प्रशांत क्षेत्र की स्थिरता और समृद्धि के लिए अहम है।

इस बातचीत को भारत और जापान के द्विपक्षीय संबंधों के नए दौर की शुरुआत के रूप में देखा जा रहा है। दोनों नेताओं ने यह भी तय किया कि आने वाले महीनों में उच्च-स्तरीय मंत्रिस्तरीय और अधिकारी स्तर की बैठकों के जरिए साझा परियोजनाओं पर प्रगति की जाएगी। इसमें विशेष रूप से रक्षा उत्पादन, हरित प्रौद्योगिकी, डिजिटल सहयोग और अवसंरचना विकास जैसे क्षेत्र शामिल होंगे। प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) और जापान के विदेश मंत्रालय ने इस वार्ता की पुष्टि करते हुए इसे “सकारात्मक और भविष्यगामी संवाद” बताया।

यह वार्ता ऐसे समय में हुई है जब वैश्विक राजनीति में एशिया की भूमिका तेजी से बढ़ रही है। भारत और जापान, दोनों ही देश लोकतांत्रिक मूल्यों, आर्थिक सहयोग और क्षेत्रीय शांति के लिए एक साझा दृष्टिकोण रखते हैं। इसलिए यह टेलीफोनिक वार्ता केवल औपचारिक बातचीत नहीं, बल्कि दो देशों के बीच गहरी साझेदारी की एक मजबूत नींव साबित हो सकती है।

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