India-EU FTA वार्ता: पीयूष गोयल का ब्रसेल्स दौरा संपन्न, दोनों अर्थव्यवस्थाओं के लिए ‘लाभकारी ढांचा’ तैयार

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ब्रसेल्स/नई दिल्ली — भारत और यूरोपीय संघ (EU) के बीच मुक्त व्यापार समझौते (FTA) को लेकर चल रही वार्ताओं को नई गति देने के उद्देश्य से वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने 27–28 अक्टूबर को ब्रसेल्स का दो दिवसीय दौरा पूरा किया। यह दौरा दोनों पक्षों के बीच हुई 14वीं वार्ता के बाद का एक महत्वपूर्ण चरण था, जिसमें लंबित मुद्दों पर ठोस प्रगति हुई। गोयल ने EU के व्यापार एवं आर्थिक सुरक्षा कमिश्नर मारोस शेफकोविक के साथ विस्तृत बातचीत की, जिसमें बाज़ार पहुंच, गैर-शुल्कीय अवरोध (non-tariff barriers), नियामक समन्वय और तकनीकी मानकों जैसे प्रमुख विषयों पर चर्चा हुई।

भारत सरकार के मुताबिक, इस दौरे ने वार्ता को “राजनीतिक और रणनीतिक दिशा” प्रदान की है। दोनों पक्षों ने यह माना कि अब अधिकांश प्रमुख मतभेदों में कमी आई है और शेष तकनीकी बिंदुओं पर जल्द सहमति बनने की संभावना है। पीयूष गोयल ने बातचीत के बाद कहा कि दोनों अर्थव्यवस्थाएँ एक ऐसा “संतुलित और लाभकारी ढांचा” तैयार करने के करीब हैं, जिससे व्यापार, निवेश और रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे। मंत्रालय के अधिकारियों ने यह भी बताया कि अगले सप्ताह नई दिल्ली और ब्रसेल्स में तकनीकी टीमों की बैठकों के ज़रिए शेष टैरिफ और नियमों के अंतर को दूर करने की दिशा में काम आगे बढ़ाया जाएगा।

हालांकि, कुछ संवेदनशील मुद्दे अब भी बातचीत की चुनौती बने हुए हैं। इनमें ऑटोमोबाइल सेक्टर, दुग्ध उत्पादों, शराब, और कृषि से जुड़े बाजार-पहुँच संबंधी विवाद शामिल हैं। EU की ओर से जर्मनी और फ्रांस जैसे देशों के औद्योगिक हितों के चलते अधिक बाजार पहुंच की मांग की जा रही है, जबकि भारत अपनी घरेलू कृषि और लघु उद्योगों की रक्षा के लिए उच्च टैरिफ बनाए रखना चाहता है। इसके अलावा, यूरोपीय संघ का “कार्बन सीमा समायोजन तंत्र” (Carbon Border Adjustment Mechanism – CBAM) और बौद्धिक संपदा अधिकार जैसे विषय भी चर्चा के केंद्र में हैं।

दोनों पक्ष इस समझौते को रणनीतिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण मानते हैं। यह न केवल व्यापारिक बल्कि तकनीकी, निवेश और हरित ऊर्जा क्षेत्रों में सहयोग को नई दिशा देने वाला कदम होगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और यूरोपीय नेताओं के बीच पिछले कुछ महीनों में हुए संवादों ने भी इस दिशा में सकारात्मक माहौल बनाया है। गोयल ने कहा कि भारत और EU के बीच एक “संतुलित और निष्पक्ष” FTA से आपूर्ति श्रृंखलाओं को मज़बूती मिलेगी, विदेशी निवेश को बढ़ावा मिलेगा और छोटे उद्योगों को अंतरराष्ट्रीय बाज़ारों तक पहुँचने का अवसर मिलेगा।

आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, तकनीकी बैठकों के अगले चरण के बाद दोनों पक्ष राजनीतिक मंजूरी के लिए मसौदे को तैयार करेंगे। लक्ष्य यह है कि यदि सभी जटिल मुद्दों पर समझौता बन जाता है, तो इस वर्ष दिसंबर तक समझौते को अंतिम रूप दिया जा सकता है। हालांकि, यह समयसीमा दोनों पक्षों के बीच राजनीतिक निर्णयों और संवेदनशील क्षेत्रों में संतुलन साधने की क्षमता पर निर्भर करेगी।

कुल मिलाकर, ब्रसेल्स में हुई यह वार्ता भारत-EU FTA के लिए एक निर्णायक कदम साबित हुई है। इस दौर ने बातचीत को नई ऊर्जा दी है और दोनों पक्षों के बीच विश्वास एवं पारदर्शिता को और मजबूत किया है। अब उम्मीद की जा रही है कि आगामी महीनों में यह समझौता वैश्विक व्यापार परिदृश्य में भारत और यूरोप के बीच आर्थिक सहयोग के नए अध्याय की नींव रखेगा।

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