भारत और यूरोपीय संघ (EU) के बीच बहुप्रतीक्षित मुक्त व्यापार समझौते (India–EU Free Trade Agreement) को लेकर आज से ब्रुसेल्स में उच्च स्तरीय बैठकें शुरू हो रही हैं। यह वार्ता दोनों पक्षों के बीच लंबे समय से चली आ रही बातचीत का अहम चरण है, जिसका उद्देश्य इस साल के अंत तक समझौते को अंतिम रूप देना है। भारत की ओर से वाणिज्य और उद्योग मंत्री पियुष गोयल इस बैठक में हिस्सा ले रहे हैं, जबकि यूरोपीय पक्ष का नेतृत्व यूरोपीय कमीशन के कार्यकारी उपाध्यक्ष मारोश शेफकोविक (Maroš Šefčovič) कर रहे हैं। यह बैठक ऐसे समय हो रही है जब दोनों पक्षों के बीच आर्थिक साझेदारी को नए आयाम देने की दिशा में तेजी आई है।
वार्ता के इस दौर में बाजार पहुँच (Market Access), टैरिफ दरें, गैर-शुल्क बाधाएँ (Non-Tariff Barriers), बौद्धिक संपदा अधिकार (IPR), और विनियामक सहयोग (Regulatory Cooperation) जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा की जाएगी। सूत्रों के अनुसार, दोनों पक्षों का प्रयास होगा कि लंबित विवादों और असहमति वाले बिंदुओं को राजनीतिक स्तर पर सुलझाया जाए ताकि आगे की प्रक्रिया में तेजी लाई जा सके। यूरोपीय संघ चाहता है कि भारत में निवेश के लिए एक पारदर्शी और टिकाऊ वातावरण तैयार किया जाए, जबकि भारत की प्राथमिकता अपने संवेदनशील क्षेत्रों — विशेषकर कृषि, डेयरी और ऑटोमोबाइल उद्योग — को संतुलित सुरक्षा देना है।
हाल ही में हुई तकनीकी बैठकों में कई अध्यायों पर सहमति बनने के बाद अब राजनीतिक स्तर पर निर्णयों की बारी है। दोनों पक्षों के बीच नियम-उत्पत्ति (Rules of Origin), निवेश सुरक्षा, और तकनीकी मानदंडों (SPS/TBT) को लेकर भी कुछ मतभेद बने हुए हैं, जिन पर समझौता निकालने की कोशिश की जाएगी। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि यह वार्ता सकारात्मक दिशा में बढ़ती है, तो दिसंबर 2025 तक इस समझौते को अंतिम रूप देने का रास्ता साफ हो सकता है।
यूरोपीय संघ की ओर से भी इस समझौते को लेकर स्पष्ट राजनीतिक इच्छाशक्ति दिखाई दे रही है। यूरोपीय काउंसिल ने हाल ही में एक नई सामरिक EU-India एजेंडा को मंजूरी दी है, जिसमें “संतुलित, महत्वाकांक्षी और पारस्परिक रूप से लाभकारी” FTA पर जोर दिया गया है। काउंसिल का कहना है कि यह समझौता न केवल आर्थिक संबंधों को गहरा करेगा, बल्कि सतत विकास (Sustainable Development) और हरित अर्थव्यवस्था (Green Economy) को भी बढ़ावा देगा।
भारत के वाणिज्य मंत्रालय ने इसे “अंतिम और चुनौतीपूर्ण चरण” बताया है। मंत्रालय के अनुसार, अब कई महत्वपूर्ण फैसले राजनीतिक स्तर पर लेने की आवश्यकता है ताकि दोनों पक्षों की अपेक्षाओं को संतुलित किया जा सके। विश्लेषकों का कहना है कि ऑटोमोबाइल, डेयरी और मैन्युफैक्चरिंग जैसे क्षेत्रों में बाजार पहुँच और जलवायु-संबंधी मानकों पर अभी भी मतभेद बने हुए हैं। हालांकि, अगर इन बिंदुओं पर सहमति बन जाती है तो यह समझौता भारत और यूरोपीय संघ के बीच व्यापारिक संबंधों को नई ऊंचाई पर ले जा सकता है।
कुल मिलाकर, ब्रुसेल्स में आज से शुरू हो रही यह बैठक भारत-यूरोपीय संघ मुक्त व्यापार समझौते की दिशा में निर्णायक साबित हो सकती है। यदि वार्ता सकारात्मक रहती है, तो वर्ष के अंत तक दोनों पक्षों के बीच एक व्यापक और आधुनिक व्यापार समझौ













