कर्नाटक वोटर फ्रॉड केस: एक वोट की कीमत ₹80, SIT ने पकड़े साजिश के तार

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कर्नाटक के कालबुरगी जिले के आलंद विधानसभा क्षेत्र में सामने आए वोटर लिस्ट घोटाले ने पूरे राज्य की राजनीति में हलचल मचा दी है। विशेष जांच दल (SIT) की ताज़ा रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि मतदाता सूची से नाम हटवाने के लिए एक व्यवस्थित साजिश रची गई थी, जिसमें हर एक वोट को हटवाने के बदले लगभग ₹80 का भुगतान किया जा रहा था। जांच के अनुसार, फरवरी 2022 से फरवरी 2023 के बीच हजारों फर्जी Form-7 आवेदन जमा किए गए थे, जिनके ज़रिए मतदाता सूची से बड़े पैमाने पर नाम हटवाने का प्रयास किया गया।

SIT ने अपनी प्रारंभिक जांच में पाया कि इन आवेदनों में से अधिकांश फर्जी थे और उनमें उपयोग किए गए मोबाइल नंबर, IP एड्रेस और डिजिटल सिग्नेचर अलग-अलग स्रोतों से जुड़े हुए थे। जांच में सामने आया कि कुछ लोगों को हर हटाए गए नाम के बदले तय रकम दी जाती थी, जिससे वे फर्जी आवेदन डालकर वोटर लिस्ट में हेराफेरी कर सकें। इस पूरे घोटाले में स्थानीय नेटवर्क के शामिल होने की आशंका जताई जा रही है।

जांच के दौरान SIT ने छह संदिग्धों की पहचान की है, जिनसे लगातार पूछताछ की जा रही है। कुछ संदिग्धों के घरों से जली हुई फाइलें और दस्तावेज़ भी बरामद हुए हैं, जिन्हें सबूत मिटाने की कोशिश माना जा रहा है। SIT अब डिजिटल डेटा, मोबाइल रिकॉर्ड और बैंक ट्रांजेक्शन के ज़रिए यह पता लगाने में जुटी है कि फर्जीवाड़े के पीछे कौन-से बड़े नाम या राजनीतिक कनेक्शन छिपे हैं।

इस पूरे मामले की शुरुआत तब हुई जब स्थानीय अधिकारियों ने मतदाता सूची में असामान्य रूप से बड़ी संख्या में नाम हटाए जाने की शिकायत की थी। चुनाव आयोग ने प्रारंभिक स्तर पर जांच कर मामले को राज्य सरकार को सौंपा, जिसके बाद मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने SIT गठित की। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी इस मुद्दे को सार्वजनिक मंचों पर उठाया था और निष्पक्ष जांच की मांग की थी।

SIT अब यह जांच कर रही है कि क्या किसी राजनीतिक दल या चुनावी उम्मीदवार को इसका सीधा लाभ हुआ। अगर जांच में किसी दल या व्यक्ति की संलिप्तता साबित होती है, तो उनके खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी। यह मामला राज्य की चुनावी पारदर्शिता और मतदाता सुरक्षा के लिए एक बड़ी परीक्षा बन गया है।

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