इस साल की दिवाली पर भारत ने कारोबारी गतिविधियों में नया रिकॉर्ड स्थापित किया। अखिल भारतीय व्यापारी परिसंघ (CAIT) की रिपोर्ट के अनुसार, पूरे देश में दिवाली के दौरान कुल कारोबार लगभग ₹6.05 लाख करोड़ रहा, जिसमें वस्तुओं की बिक्री करीब ₹5.40 लाख करोड़ और सेवाओं का हिस्सा लगभग ₹65,000 करोड़ था। यह पिछले साल की तुलना में काफी बढ़ोतरी है और घरेलू उपभोक्ताओं में मजबूती और ‘वोकल फॉर लोकल’ जैसे अभियान की सफलता को दर्शाती है।
इस दिवाली सबसे अधिक बिक्री उपभोक्ता वस्त्र, इलेक्ट्रॉनिक्स, घरेलू उपकरण, सजावटी सामग्री और मिठाइयों में हुई। साथ ही, ऑटोमोबाइल और होम-फर्निशिंग जैसे बड़े आइटमों की भी मांग रही। ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्मों पर भारी डिस्काउंट, आसान EMI योजनाओं और आकर्षक ऑफ़र्स ने ऑनलाइन बिक्री को और बढ़ावा दिया। रिपोर्ट में यह भी देखा गया कि इस साल स्थानीय उत्पादों की बिक्री में खास बढ़ोतरी हुई, जिससे यह स्पष्ट होता है कि उपभोक्ताओं ने स्वदेशी वस्तुओं को प्राथमिकता दी।
विश्लेषकों के अनुसार, इस रिकॉर्ड कारोबार के पीछे कई कारण हैं। GST दरों में कटौती और कर सुधारों ने खर्च को बढ़ावा दिया, जबकि बैंकों और ई-कॉमर्स कंपनियों द्वारा दी गई आसान फाइनेंसिंग और EMI योजनाओं ने खरीदारी को आसान बनाया। इसके अलावा, त्योहार के समय उपभोक्ताओं का मनोबल मजबूत था, जिससे मांग ऊँची बनी रही। सेवाओं के क्षेत्र में भी यात्रा, होटल और मनोरंजन पर खर्च में वृद्धि हुई, जिससे सेवाओं की हिस्सेदारी में महत्वपूर्ण योगदान देखने को मिला।
प्रदेशवार और शहरवार आंकड़ों में भी उत्साहजनक परिणाम दिखे। महानगरों के साथ-साथ टियर-2 और टियर-3 शहरों में भी खरीदारी में अच्छा उछाल आया। दिल्ली, तमिलनाडु और अन्य बड़े शहरों में दुकानदारों ने रिकॉर्ड बिक्री दर्ज की। ई-कॉमर्स और ऑफलाइन रिटेल का मिश्रित प्रदर्शन इस उच्चतम कारोबारी आंकड़े के पीछे मुख्य कारण रहा।
सोना-चाँदी और आभूषणों की खरीदारी में भी इस दिवाली उत्साह देखा गया। निवेश और उपहार दोनों के लिए कीमती धातुओं की मांग बढ़ी। हालांकि, कुछ उच्च-प्राइस सेगमेंट में उपभोक्ताओं ने सतर्कता बरती, लेकिन कुल मिलाकर सोने और चाँदी की बिक्री में भी महत्वपूर्ण योगदान रहा।
व्यापारी संगठनों और अर्थशास्त्रियों ने इस आंकड़े को सकारात्मक बताया। उन्होंने कहा कि यह घरेलू मांग की मजबूती और उपभोक्ता आत्मविश्वास का संकेत है। वहीं, विशेषज्ञों ने यह भी चेतावनी दी कि एक बार के त्योहारी उछाल से पूरे साल की अर्थव्यवस्था पर असर अलग होता है, और टिकाऊ वृद्धि के लिए निरंतर रोजगार, आय और घरेलू निवेश जरूरी है।
CAIT द्वारा किए गए सर्वे और विभिन्न मीडिया रिपोर्टों के आंकड़ों के आधार पर यह अनुमान प्रस्तुत किया गया। अलग-अलग संस्थाओं के आंकड़े थोड़े भिन्न हो सकते हैं, लेकिन अंतिम आंकड़ा लगभग ₹6.05 लाख करोड़ प्रतिपादित हुआ है। यह दिवाली न केवल सांस्कृतिक रूप से, बल्कि आर्थिक रूप से भी महत्वपूर्ण साबित हुई, और देश के व्यापारिक उत्साह को नए आयाम पर पहुँचाया।













