वरिष्ठ कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री पी. चिदंबरम के बयान ने देश की सियासत में नया विवाद खड़ा कर दिया है। हिमाचल प्रदेश के कसौली में आयोजित खुषवंत सिंह साहित्य महोत्सव में बोलते हुए चिदंबरम ने 1984 के ‘ऑपरेशन ब्लू स्टार’ को “गलत तरीका” बताया और कहा कि इस निर्णय की कीमत तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को अपनी जान देकर चुकानी पड़ी। उन्होंने कहा कि उस समय हालात को संभालने के और भी रास्ते मौजूद थे, लेकिन सेना की कार्रवाई सबसे अनुचित कदम साबित हुई। चिदंबरम ने कहा कि यह फैसला केवल एक व्यक्ति का नहीं बल्कि पूरे प्रशासनिक ढांचे की सामूहिक असफलता का परिणाम था।
उनके इस बयान के सामने आते ही राजनीतिक हलकों में हलचल मच गई। भारतीय जनता पार्टी ने चिदंबरम पर हमला बोलते हुए कहा कि उनके बयान ने कांग्रेस की “ऐतिहासिक भूल” को उजागर कर दिया है। बीजेपी प्रवक्ताओं ने आरोप लगाया कि कांग्रेस हमेशा से अपने नेताओं की गलतियों को छिपाने की कोशिश करती रही है, लेकिन चिदंबरम की बातों से खुद उनकी पार्टी की असलियत सामने आ गई है। बीजेपी नेताओं ने यह भी कहा कि ‘ऑपरेशन ब्लू स्टार’ जैसे कदम उस दौर की सुरक्षा परिस्थितियों को देखते हुए आवश्यक थे, और इस पर सवाल उठाना देश के सैनिक बलों के मनोबल को ठेस पहुंचाने जैसा है।
वहीं, कांग्रेस के अंदर भी इस बयान को लेकर असहजता देखी जा रही है। पार्टी के कुछ वरिष्ठ नेताओं ने माना कि ऐसे संवेदनशील ऐतिहासिक मुद्दों पर सार्वजनिक टिप्पणी करना राजनीतिक रूप से नुकसानदायक हो सकता है। पार्टी सूत्रों के अनुसार, कांग्रेस नेतृत्व चिदंबरम के बयान से खुश नहीं है और उनसे इस मुद्दे पर स्पष्टीकरण मांगा जा सकता है। हालांकि, कुछ नेताओं ने यह भी कहा कि यह व्यक्तिगत राय है और पार्टी की आधिकारिक नीति से इसका कोई संबंध नहीं है।
विश्लेषकों का मानना है कि चिदंबरम का बयान ऐसे समय में आया है जब पंजाब समेत कई राज्यों में कांग्रेस अपने जनाधार को मजबूत करने की कोशिश में लगी है। इस प्रकार की टिप्पणी से सिख समुदाय के बीच पुराने घाव फिर से हरे हो सकते हैं। विशेषज्ञों के मुताबिक, यह बयान आने वाले चुनावी माहौल में राजनीतिक दलों के लिए नया मुद्दा बन सकता है, खासकर बीजेपी और अकाली दल जैसे विपक्षी दल इस पर कांग्रेस को घेर सकते हैं।
‘ऑपरेशन ब्लू स्टार’ जून 1984 में अमृतसर के स्वर्ण मंदिर परिसर में चलाया गया था, जब वहां सिख अलगाववादी नेता जरनैल सिंह भिंडरांवाले और उनके समर्थक डेरा डाले हुए थे। इस सैन्य कार्रवाई में कई निर्दोष नागरिकों की भी जान गई थी। इसके बाद देशभर में सिख विरोधी दंगे भड़के और उसी वर्ष अक्टूबर में प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की उनके सिख अंगरक्षकों ने हत्या कर दी थी। चिदंबरम का बयान इसी ऐतिहासिक पृष्ठभूमि से जुड़ा हुआ है, जिसने भारत की राजनीति और सामाजिक ताने-बाने पर गहरा असर डाला था।
राजनीतिक जानकारों का कहना है कि इस बयान से कांग्रेस को दोहरी चुनौती का सामना करना पड़ सकता है — एक ओर पार्टी को अपने वरिष्ठ नेता के बयान से दूरी बनानी होगी, वहीं दूसरी ओर विपक्ष के हमलों से बचना भी होगा। फिलहाल यह विवाद आने वाले दिनों में और गहराने की संभावना है, क्योंकि बीजेपी ने साफ संकेत दिया है कि वह इस मुद्दे को चुनावी विमर्श में शामिल करेगी।
