थरूर ने उठाई आवाज: विपक्ष के सांसदों पर बल प्रयोग अस्वीकार्य

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कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने केरल में हुए एक विरोध प्रदर्शन के दौरान पार्टी सांसद शफी परमबिल पर हुई कथित पुलिस कार्रवाई को लोकतंत्र के खिलाफ सीधी कार्रवाई बताया है। थरूर ने कहा कि किसी भी लोकतांत्रिक देश में सांसदों और विपक्षी नेताओं को शांतिपूर्ण विरोध करने का अधिकार है और उस पर हमला अस्वीकार्य है। उन्होंने पुलिस की इस कार्रवाई की कड़ी निंदा करते हुए इसे “लोकतांत्रिक मूल्यों पर सीधा प्रहार” करार दिया।

मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, शफी परमबिल उस समय कांग्रेस कार्यकर्ताओं के साथ एक शांतिपूर्ण विरोध मार्च का नेतृत्व कर रहे थे जब पुलिस ने उन्हें रोकने की कोशिश की। इस दौरान पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़प की स्थिति बन गई। स्थानीय समाचारों के मुताबिक, पुलिस द्वारा सांसद को बलपूर्वक रोकने या कस्टडी में लेने की कोशिश ने विवाद को और बढ़ा दिया। घटना की तस्वीरें और वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हुए, जिसके बाद राजनीतिक माहौल गर्मा गया।

शशि थरूर ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘X’ (पूर्व ट्विटर) पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए लिखा, “सांसद शफी परमबिल पर पुलिस का हमला अस्वीकार्य है। यह लोकतंत्र की भावना के खिलाफ है।” उन्होंने राज्य सरकार और पुलिस प्रशासन से तुरंत इस मामले में निष्पक्ष जांच और जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई की मांग की। थरूर ने यह भी कहा कि “सांसदों को जनता की आवाज उठाने का संवैधानिक अधिकार है, और यदि इस अधिकार का हनन होता है, तो यह लोकतंत्र के लिए खतरनाक संकेत है।”

कांग्रेस पार्टी ने भी इस घटना की तीखी आलोचना की है। पार्टी नेताओं ने राज्य सरकार पर पुलिस का दुरुपयोग करने का आरोप लगाया और कहा कि विपक्ष को दबाने की कोशिश की जा रही है। वहीं, पुलिस की ओर से जारी प्रारंभिक बयान में कहा गया है कि प्रदर्शन के दौरान स्थिति नियंत्रण से बाहर हो गई थी, जिसके चलते बल प्रयोग करना पड़ा। पुलिस ने मामले की जांच शुरू करने की बात कही है।

घटना के बाद से क्षेत्र में तनाव की स्थिति बनी हुई है। स्थानीय प्रशासन ने सुरक्षा बढ़ा दी है और घटनास्थल के आसपास पुलिस की अतिरिक्त तैनाती की गई है। विपक्षी दलों ने इस घटना को नागरिक अधिकारों और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला बताया है। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि इस तरह की घटनाएं लोकतांत्रिक व्यवस्था में विपक्ष की भूमिका को कमजोर करने वाली साबित हो सकती हैं।

थरूर ने अपने बयान में यह भी कहा कि किसी भी लोकतांत्रिक समाज में सत्ता और विपक्ष के बीच मतभेद होना स्वाभाविक है, लेकिन अगर सरकार या प्रशासन विरोध की आवाज को बलपूर्वक दबाने लगे, तो यह लोकतंत्र के बुनियादी सिद्धांतों को कमजोर करता है। उन्होंने उम्मीद जताई कि राज्य सरकार इस मामले में पारदर्शी जांच करेगी और दोषी पाए जाने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई सुनिश्चित करेगी।

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