पंजाब में आम आदमी पार्टी (AAP) को संगरूर से एक बड़ा झटका लगा है। मुख्यमंत्री भगवंत मान के गृह जिले की नगर पालिका में आठ पार्षदों ने पार्टी छोड़ने का फैसला किया है। इनमें नगर पालिका के सीनियर वाइस प्रेसिडेंट और वाइस प्रेसिडेंट भी शामिल हैं। पार्षदों ने कहा कि नगरपालिका अध्यक्ष भूपिंदर सिंह नाहल के कामकाज और रवैये से वे संतुष्ट नहीं थे, इसी कारण उन्होंने पार्टी छोड़ने का निर्णय लिया।
नगर पालिका अध्यक्ष भूपिंदर सिंह नाहल ने इस घटनाक्रम पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि आम आदमी पार्टी के सात पार्षद अभी भी उनके साथ हैं और केवल पांच पूर्व में पार्टी में शामिल हुए निर्दलीय पार्षद अलग रास्ता अपना रहे हैं। नाहल ने यह भी दावा किया कि ये पांच पार्षद जल्द ही पार्टी में लौट आएंगे। इस घटनाक्रम की राजनीतिक अहमियत इसलिए भी बढ़ जाती है क्योंकि यदि ये आठ पार्षद पार्टी में वापस नहीं लौटते या नगर पालिका में अपना समर्थन नहीं देते, तो अध्यक्ष पद संकट में आ सकता है और पार्टी अल्पमत में चली जाएगी।
पिछले साल हुए नगर पालिका चुनावों में आम आदमी पार्टी ने 29 सीटों में से केवल सात सीटें जीती थीं। बाद में पांच निर्दलीय पार्षदों का समर्थन मिलने से पार्टी का आंकड़ा 12 तक पहुंच गया था, जिससे अध्यक्ष पद पर कब्जा संभव हो सका। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह घटनाक्रम आम आदमी पार्टी के लिए परीक्षा की तरह है और पार्टी के आंतरिक विवादों को सुलझाने की क्षमता पर सवाल उठता है। विपक्षी दलों ने इस संकट का फायदा उठाने की कोशिश शुरू कर दी है और पार्टी की नेतृत्व क्षमता पर सवाल उठाए हैं।
आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि आम आदमी पार्टी इस संकट से कैसे उबरती है और संगरूर नगर पालिका में अपनी पकड़ बनाए रख पाती है या नहीं।
