कोलकाता: पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि शाह ऐसे व्यवहार कर रहे हैं मानो वह “कार्यवाहक प्रधानमंत्री” हों। ममता ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चेतावनी देते हुए कहा कि शाह पर पूरी तरह भरोसा करने से सावधान रहना चाहिए, नहीं तो वे ‘मिर जाफर’ जैसा व्यवहार कर सकते हैं। इस बयान ने राज्य और केंद्र के बीच राजनीतिक तनाव को और बढ़ा दिया है।
ममता बनर्जी ने चुनाव आयोग और अन्य संस्थाओं पर भी सवाल उठाए और आरोप लगाया कि कुछ संस्थाएँ अमित शाह के प्रभाव में आकर काम कर रही हैं, जिससे लोकतंत्र और नागरिक अधिकारों पर असर पड़ सकता है। उन्होंने कहा कि बंगाल से जुड़े मामलों में हस्तक्षेप सीधे प्रधानमंत्री के ध्यान में होना चाहिए, न कि किसी एक नेता के माध्यम से।
यह बयान उस पृष्ठभूमि में आया है जब बंगाल में हाल ही में बाढ़ और भूस्खलन प्रभावित इलाकों में हुई घटनाओं के कारण केंद्र और राज्य सरकार के बीच आरोप-प्रत्यारोप तेज हैं। ममता ने केंद्र पर निशाना साधते हुए कहा कि राज्य सरकार राहत और बचाव कार्यों में व्यस्त है, लेकिन केंद्र राजनीतिक रंग दे रहा है। वहीं, भाजपा ने ममता के बयानों पर पलटवार करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री को अपने राज्य की कानून-व्यवस्था और प्रभावित लोगों की मदद पर ध्यान देना चाहिए, न कि केंद्र के नेताओं पर आरोप लगाने में समय खोना चाहिए।
विश्लेषकों के अनुसार, ममता का यह हमला न केवल केंद्र-राज्य तनाव को दर्शाता है बल्कि आगामी चुनावी राजनीति और राज्य में वोटर बेस को साधने का भी संकेत है। ‘मिर जाफर’ जैसे ऐतिहासिक अलंकरण का प्रयोग उनके नेतृत्व-संदेह और विरोधी भरोसे पर तीखा प्रकाश डालता है। राजनीतिक गलियारों में अब यह बहस मुख्य रूप से राष्ट्रीय विमर्श का हिस्सा बन चुकी है और अगले कुछ दिनों में और भी तेज होने की संभावना है।
फिलहाल, दोनों पक्षों की बयानबाजी जारी है और यह देखना बाकी है कि प्रधानमंत्री कार्यालय और अमित शाह की ओर से इस पर क्या प्रतिक्रिया आती है और केंद्र—राज्य समन्वय के नए द्वंद्व को कैसे हल किया जाता है।
