पटना। बिहार ने स्वास्थ्य सेवाओं के क्षेत्र में एक और बड़ी उपलब्धि दर्ज की है। सरकारी अस्पतालों में मुफ्त दवाइयाँ उपलब्ध कराने के मामले में बिहार ने पूरे देश में लगातार 11वें महीने पहला स्थान हासिल किया है। यह जानकारी Drugs and Vaccine Distribution Management System (DVDMS) पोर्टल पर उपलब्ध आंकड़ों और राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) की रिपोर्ट में सामने आई है।
कैसे मिली सफलता?
राज्य के स्वास्थ्य विभाग ने इस उपलब्धि का श्रेय मजबूत आपूर्ति व्यवस्था और डिजिटल मॉनिटरिंग को दिया है।
बिहार ने दवाओं के वितरण के लिए डिजिटल स्टॉक मैनेजमेंट सिस्टम लागू किया है।
सेंट्रल वेयरहाउस से लेकर प्रखंड स्तर तक DVDMS पोर्टल के जरिए दवाइयों का स्टॉक और सप्लाई मॉनिटर किया जाता है।
अस्पतालों में दवाइयों की नियमित ऑडिट और निरीक्षण की व्यवस्था की गई है।
विस्तृत सूची से लाभ
राज्य सरकार ने मुफ्त दवाइयों की सूची को पहले की तुलना में काफी बड़ा कर दिया है। अब इसमें करीब 600 से अधिक प्रकार की दवाइयाँ शामिल हैं, जिनसे सामान्य बीमारियों के साथ-साथ गंभीर और क्रोनिक रोगों का भी इलाज संभव हो पा रहा है।
मरीजों को मिला फायदा
इस व्यवस्था से ग्रामीण और आर्थिक रूप से कमजोर मरीजों को सीधा लाभ मिला है।
गरीब परिवारों का दवाइयों पर खर्च कम हुआ है।
ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले मरीजों को अब निजी मेडिकल स्टोर पर निर्भर नहीं रहना पड़ता।
समय पर दवाइयाँ मिलने से मरीजों की रिकवरी तेज हुई है और इलाज बीच में रुकने की समस्या भी घट गई है।
विशेषज्ञों और सरकार की राय
विशेषज्ञों का मानना है कि बिहार का यह मॉडल अन्य राज्यों के लिए मिसाल है। लगातार 11 महीने शीर्ष पर रहना इस बात का संकेत है कि सही नीति और बेहतर प्रबंधन से स्वास्थ्य सेवाओं में बड़ा बदलाव लाया जा सकता है।
वहीं, स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने कहा है कि सरकार अब और नई दवाइयों को भी सूची में शामिल करेगी और अस्पतालों में दवाइयाँ देने के लिए ऑटोमेटेड वेंडिंग मशीन लगाने की योजना पर काम कर रही है।
चुनौतियाँ भी बाकी
हालाँकि बिहार की यह सफलता उल्लेखनीय है, लेकिन चुनौतियाँ भी सामने हैं। ग्रामीण क्षेत्रों तक निरंतर दवा पहुँचाना, बजट आवंटन में पारदर्शिता, और एक्सपायरी दवाइयों के प्रबंधन जैसी समस्याओं पर राज्य को लगातार ध्यान देना होगा।
