नई दिल्ली। उपराष्ट्रपति चुनाव से पहले भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने अपने सांसदों के लिए संसद परिसर स्थित जीएमसी बालयोगी ऑडिटोरियम में दो दिवसीय संसदीय कार्यशाला आयोजित की। इस कार्यशाला का उद्देश्य न केवल चुनाव से पहले सांसदों को तकनीकी और सामरिक रूप से तैयार करना था, बल्कि पार्टी के भीतर संवाद और अनुशासन की भावना को भी मजबूत करना रहा।
कार्यक्रम के दौरान एक खास दृश्य ने सबका ध्यान खींचा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कार्यशाला में अन्य सांसदों के साथ सबसे पीछे की पंक्ति में बैठे नज़र आए। राजनीतिक हलकों में इसे एक प्रतीकात्मक संदेश माना गया कि पार्टी में सामूहिक नेतृत्व और सहयोग ही सर्वोच्च है। मोदी का यह साधारण और सहज अंदाज़ मीडिया की सुर्खियों में रहा और इसे संगठनात्मक अनुशासन का उदाहरण बताया गया।
किन मुद्दों पर हुई चर्चा
कार्यशाला में कई अहम विषयों पर सांसदों को मार्गदर्शन दिया गया। सबसे पहले उपराष्ट्रपति चुनाव की तैयारी पर जोर दिया गया। सांसदों को वोटिंग प्रक्रिया, मतदान प्रोटोकॉल और विपक्षी रणनीतियों के बारे में जानकारी दी गई। इसके साथ ही मॉक वोटिंग के जरिए सांसदों को प्रक्रिया का अभ्यास कराया गया ताकि मतदान के दिन कोई त्रुटि न हो।
संसदीय कार्यकुशलता बढ़ाने के लिए सांसदों को बहस-कौशल, प्रश्नोत्तर सत्रों में सक्रिय भागीदारी और समिति-कार्य को प्रभावी बनाने पर भी प्रशिक्षण दिया गया। इसके अतिरिक्त हाल ही में केंद्र सरकार द्वारा किए गए जीएसटी सुधारों को जनता के सामने किस तरह प्रस्तुत करना है, इस पर भी चर्चा हुई। पार्टी नेतृत्व ने सांसदों को समझाया कि इन सुधारों को जनता तक ‘आर्थिक राहत’ और ‘विकासोन्मुखी पहल’ के रूप में पहुंचाना है।
इसके अलावा कम्युनिकेशन और सोशल मीडिया रणनीति पर भी विशेष सत्र आयोजित हुआ। सांसदों को बताया गया कि विपक्ष के नैरेटिव का मुकाबला कैसे करना है और डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर जनता से जुड़ाव को किस तरह मजबूत करना है।
संवेदनशीलता और अनुशासन का संदेश
कार्यशाला के दौरान यह भी देखा गया कि पार्टी ने बाढ़ प्रभावित इलाकों को ध्यान में रखते हुए कुछ भोज और औपचारिक कार्यक्रम रद्द कर दिए। इससे यह संदेश गया कि भाजपा सरकार और संगठन आपदा की घड़ी में संवेदनशीलता को प्राथमिकता देते हैं।
निष्कर्ष
बीजेपी की इस कार्यशाला का दोहरा मकसद साफ नज़र आया — पहला, उपराष्ट्रपति चुनाव को लेकर सांसदों को पूरी तरह तैयार करना; दूसरा, हालिया नीतिगत सुधारों और सरकारी उपलब्धियों को जनता तक सही ढंग से पहुँचाने के लिए रणनीति बनाना।
प्रधानमंत्री मोदी का पिछली पंक्ति में बैठना कार्यशाला का सबसे चर्चित क्षण रहा जिसने अनुशासन, सामूहिक नेतृत्व और सादगी का संदेश दिया।
