भारतीय GST डेटा से चल रहा था म्यांमार का मेथ ड्रग कारोबार, ED ने खोली पूरी परतें

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भारत-म्यांमार ड्रग रैकेट की जांच में प्रवर्तन निदेशालय (ED) को एक बड़ा और चौंकाने वाला खुलासा मिला है। एजेंसी के अनुसार, म्यांमार में सक्रिय ड्रग नेटवर्क भारतीय नागरिकों के GST क्रेडेंशियल्स का दुरुपयोग कर रहा था। इन विवरणों का इस्तेमाल उन रसायनों की खरीद को वैध दिखाने के लिए किया गया, जिनका उपयोग म्यांमार में मेथामफेटामिन जैसी सिंथेटिक दवाओं के निर्माण में किया जाता है। जांच में सामने आया कि पseudoephedrine टैबलेट्स और कैफीन एन्हाइड्रस जैसे केमिकल भारत में वैध कारोबारी खरीद के नाम पर लिए गए, लेकिन उनका अंतिम गंतव्य म्यांमार के ड्रग-लैब रहे।

ED ने इस ड्रग-फंडिंग नेटवर्क के खिलाफ हाल ही में मिजोरम, आसाम और गुजरात में समन्वित तलाशी अभियान चलाया, जिसमें कई डिजिटल रिकॉर्ड, नकद और वित्तीय दस्तावेज बरामद हुए। एजेंसी ने लगभग 21 बैंक खातों को फ्रीज़ कर दिया है, क्योंकि शुरुआती जांच में इन खातों से संदिग्ध लेन-देन और मनी-लॉन्ड्रिंग के संकेत मिले। अधिकारियों का कहना है कि यह नेटवर्क एक संगठित अंतरराष्ट्रीय सप्लाई-चेन की तरह काम करता था, जिसमें भारत के अलग-अलग राज्यों में स्थित फर्जी या संदिग्ध फर्मों के माध्यम से ड्रग उत्पादन के लिए आवश्यक रसायन मिजोरम की सीमा तक पहुँचाए जाते थे और फिर म्यांमार में सक्रिय तस्करों को सौंपे जाते थे।

जांच से जुड़े अधिकारियों ने बताया कि गुजरात की कुछ इकाइयाँ रासायनिक आपूर्ति के इस नेटवर्क में महत्वपूर्ण कड़ी के रूप में सामने आई हैं। वहीं मिजोरम के चम्पई जैसे इलाके, जो भारत-म्यांमार सीमा के बेहद करीब हैं, ड्रग रैकेट की आवागमन गतिविधियों के लिए इस्तेमाल किए गए। ED का मानना है कि जीएसटी दस्तावेजों के गलत इस्तेमाल से न केवल रसायनों की सप्लाई को वैध दिखाया गया, बल्कि वित्तीय लेन-देन को भी आम कारोबारी गतिविधि की तरह पेश किया गया। इससे मनी-लॉन्ड्रिंग की पूरी प्रक्रिया छिपी रहती थी और ड्रग नेटवर्क आसानी से लाभ कमाकर उसे दूसरे चैनलों में घुमा देता था।

एजेंसी अभी भी इस मामले की गहरी जांच में जुटी है। बरामद डिजिटल डिवाइस और बैंकिंग रिकॉर्ड का फॉरेंसिक विश्लेषण किया जा रहा है ताकि यह पता लगाया जा सके कि किन भारतीय नागरिकों या कारोबारी इकाइयों ने जानबूझकर या अनजाने में GST विवरण उपलब्ध कराए। साथ ही यह भी जांच का हिस्सा है कि म्यांमार के ड्रग ऑपरेटिव्स ने भारतीय पहचान का इस्तेमाल कैसे और किन माध्यमों से किया। विशेषज्ञों का कहना है कि यह मामला स्पष्ट करता है कि सीमापार ड्रग नेटवर्क वित्तीय सिस्टम में कमजोरियों का फायदा उठाकर बड़े पैमाने पर अवैध कारोबार को वैध रूप देने में सक्षम हो गए हैं। इसलिए भविष्य में जीएसटी सत्यापन, केमिकल सप्लाई ऑडिट और सीमा सुरक्षा एजेंसियों के बीच बेहतर समन्वय की आवश्यकता है।

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