चक्रवात सेन्यार के दक्षिण-पूर्व एशिया से आगे बढ़ने और बंगाल की खाड़ी में बने गहरे दबाव के विकसित होने से दक्षिण भारत के कई राज्यों में मौसम का अस्थिर होना तेज़ी से बढ़ गया है। इंडोनेशिया के समुद्री क्षेत्र के पास बना सेन्यार समुद्री परिस्थितियों को प्रभावित करते हुए अंडमान-निकोबार समूह की ओर प्रभाव डाल रहा है, वहीं बंगाल की खाड़ी का दबाव तेजी से सक्रिय होकर दक्षिण भारत के तटीय इलाकों में वर्षा गतिविधियों को उग्र बना रहा है। इन दोनों प्रणालियों के संयुक्त असर ने तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, केरल, पुडुचेरी और महे जैसे क्षेत्रों में भारी बारिश, तेज़ हवाएँ और समुद्र में ऊँची लहरों का खतरा बढ़ा दिया है। मौसम विशेषज्ञों के अनुसार अगले दो से तीन दिनों तक दोनों प्रणालियों की दिशा और गति में बदलाव होता रहेगा, जिसके कारण मौसम का अस्थिर रहना और वर्षा की तीव्रता में उतार-चढ़ाव की संभावना अधिक है। मौसम विभाग का कहना है कि यह दबाव जल्द ही डिप्रेशन या डीप डिप्रेशन में बदल सकता है और इसके तटों की ओर बढ़ने की स्थिति में वर्षा, तूफानी हवाएँ और समुद्री लहरें और अधिक खतरनाक रूप ले सकती हैं।
इंडियन मेट्रोलॉजिकल डिपार्टमेंट ने दक्षिण भारत के तटीय जिलों के लिए विशेष चेतावनियाँ जारी की हैं। तमिलनाडु और दक्षिणी आंध्र प्रदेश के कई जिलों में ऑरेंज अलर्ट घोषित किया गया है, जबकि कुछ स्थानों पर भारी से अति-भारी वर्षा की आशंका को देखते हुए प्रशासन पहले से ही सक्रिय हो गया है। बंगाल की खाड़ी में हवा की गति बढ़ रही है, जिसके 60 से 80 किमी प्रति घंटे तक पहुँचने का अनुमान है। इस कारण से मछुआरों को समुद्र में न जाने की सख्त व्यवस्था की गई है और बंदरगाहों पर गतिविधियाँ सीमित कर दी गई हैं। तमिलनाडु के नागपट्टिनम, कुड्डलूर, चेन्नई, कांचीपुरम, तिरुनेलवेली और तूतीकोरिन जिलों में तटीय निगरानी को बढ़ा दिया गया है। आंध्र प्रदेश में नेल्लोर, तिरुपति और प्रकाशम जिलों में प्रशासन ने पहले से ही कमांड कंट्रोल रूम सक्रिय कर दिए हैं। इन क्षेत्रों में तेज़ बारिश और तेज़ हवाओं के कारण पेड़ गिरने, विद्युत बाधा और जलभराव की घटनाएँ बढ़ सकती हैं, इसलिए बिजली विभाग को भी आपात स्थिति में तुरंत सेवा बहाल करने के लिए तैयार रहने को कहा गया है।
दक्षिण भारत के कई तटीय कस्बों और गाँवों में स्कूलों और कॉलेजों को अस्थायी रूप से बंद रखने की सलाह दी गई है। नगर निगम और स्थानीय निकाय बारिश की तीव्रता को देखते हुए नालों और जल-निकासी प्रणालियों की सफाई कर रहे हैं ताकि भारी बारिश के दौरान जलभराव की स्थिति से बचा जा सके। कई तटीय क्षेत्रों में राहत शिविरों की व्यवस्था पहले से की जा रही है ताकि जरूरत पड़ने पर निवासियों को सुरक्षित स्थानों पर पहुँचाया जा सके। आपदा प्रबंधन टीमें, स्वास्थ्य विभाग और स्थानीय पुलिस बलों को हाई अलर्ट पर रखा गया है और उन्हें निर्देश दिया गया है कि किसी भी आपात स्थिति पर तुरंत कार्रवाई करें। तटीय क्षेत्रों के अस्पतालों को भी आवश्यक दवाइयों, बैकअप बिजली सिस्टम और अतिरिक्त स्टाफ की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए कहा गया है।
नागरिकों को सलाह दी गई है कि वे बिना आवश्यकता यात्रा न करें, तटीय सड़कों और समुद्र किनारे जाने से बचें, और प्रशासन द्वारा जारी किए जाने वाले हर अपडेट पर नज़र रखें। मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि अगले 24 से 72 घंटे अत्यंत महत्वपूर्ण होंगे क्योंकि दोनों प्रणालियों की मौजूदा स्थिति तेजी से बदल सकती है। सेन्यार की वर्तमान दिशा से यह साफ है कि इसका भारत पर सीधा प्रभाव बहुत मजबूत न भी हो, लेकिन इसका बाहरी हिस्सा और खाड़ी के दबाव के साथ मिलकर दक्षिण भारत के मौसम को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकता है। प्रशासन ने चेतावनी दी है कि अफवाहों पर ध्यान न देकर केवल आधिकारिक सूचनाओं पर भरोसा करें और जरूरी एहतियात अपनाते हुए स्थिति सामान्य होने तक सुरक्षित रहें।













