भारत और कनाडा के बीच पिछले कुछ समय से चले आ रहे कूटनीतिक तनाव धीरे-धीरे कम होते दिखाई दे रहे हैं और अब दोनों देश संबंधों को सामान्य करते हुए सहयोग के नए आयामों पर आगे बढ़ने की तैयारी में हैं। हालिया अंतरराष्ट्रीय मंचों पर हुई मुलाकातों और दोनों देशों के मंत्रियों के बयानों से यह स्पष्ट हो गया है कि द्विपक्षीय रिश्तों में जमी बर्फ पिघल रही है और व्यापारिक वार्ताओं को फिर तेज गति देने की कोशिशें हो रही हैं। विशेष रूप से व्यापक आर्थिक साझेदारी समझौता (CEPA) या मुक्त व्यापार समझौते (FTA) पर चर्चाओं को दोबारा शुरू करने की दिशा में सकारात्मक संकेत मिले हैं, जो पिछले वर्ष कुछ राजनीतिक मतभेदों के चलते ठहराव की स्थिति में पहुँच गया था।
G20 शिखर सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कनाडाई प्रधानमंत्री मार्क कार्नी के बीच हुई बातचीत ने इस बदले माहौल को नई दिशा दी है। दोनों नेताओं ने आर्थिक और रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करने पर जोर देते हुए यह सहमति जताई कि CEPA वार्ताओं को पुनर्जीवित किया जाए। इस बातचीत के बाद दोनों देशों के वाणिज्य एवं विदेश मंत्रियों ने भी इस कदम का स्वागत किया और व्यापार सहयोग बढ़ाने की तत्परता दोहराई। कनाडा की विदेश मंत्री अनिता आनंद ने सार्वजनिक रूप से कहा कि उनका देश भारत के साथ व्यापार वार्ताओं को ‘फास्ट-ट्रैक’ मोड में आगे बढ़ाने के लिए तैयार है। उन्होंने यह भी माना कि भारत कनाडा के लिए एक महत्वपूर्ण रणनीतिक और आर्थिक साझेदार है और द्विपक्षीय कारोबार को अगले पाँच वर्षों में उल्लेखनीय रूप से बढ़ाया जा सकता है।
दूसरी ओर, भारत की ओर से वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पियुष गोयल ने इस संभावित सहयोग को व्यापक अवसरों से भरा बताया है। भारत की उभरती अर्थव्यवस्था, तकनीकी क्षमता, स्वच्छ ऊर्जा और आर्टिफिशल इंटेलिजेंस जैसे क्षेत्रों में विशेषज्ञता कनाडा के लिए बड़े निवेश और संयुक्त परियोजनाओं का मार्ग खोल सकती है। दोनों देशों ने महत्वपूर्ण खनिजों, ऊर्जा सुरक्षा, नाभिकीय सहयोग और सप्लाई चेन विविधीकरण जैसे क्षेत्रों में भी साथ काम करने की इच्छा जाहिर की है। मीडिया रिपोर्टों में यह भी उल्लेख किया गया है कि भविष्य में कनाडा द्वारा भारत को यूरेनियम आपूर्ति पर एक अहम समझौता संभव है, जो ऊर्जा और रक्षा सहयोग को नई ऊँचाइयों पर ले जा सकता है।
हालाँकि, विशेषज्ञों का मानना है कि पिछले कूटनीतिक विवादों के कारण दोनों राष्ट्रों के बीच भरोसे की एक खाई उत्पन्न हुई है, जिसे भरने के लिए सिर्फ उच्च-स्तरीय सहमति पर्याप्त नहीं होगी। इसके लिए निरंतर संवाद, पारदर्शी नीतियाँ और आर्थिक-नैतिक मानकों पर आधारित बातचीत की आवश्यकता होगी। CEPA जैसा व्यापक समझौता तकनीकी, कानूनी और निवेश से जुड़े कई पहलुओं पर विस्तृत और समयबद्ध चर्चा की माँग करता है। फिर भी, फिलहाल माहौल सकारात्मक दिखाई दे रहा है और दोनों देशों ने यह संकेत दिया है कि वे व्यापार एवं निवेश के नए रास्ते खोलने को तैयार हैं। यदि इन प्रयासों को निरंतरता मिली, तो भारत और कनाडा आने वाले वर्षों में न केवल व्यापार दोगुना कर सकते हैं, बल्कि रणनीतिक साझेदारी में भी नई ऊर्जा का संचार कर सकते हैं।













