गाज़ा पट्टी में हालात एक बार फिर तनावपूर्ण हो गए हैं, क्योंकि अस्थायी सीज़फ़ायर लागू होने के बाद भी इज़राइल ने नई एयरस्ट्राइक की, जिसमें कम से कम 24 लोगों की मौत होने की पुष्टि स्थानीय अस्पतालों ने की है। स्वास्थ्य अधिकारियों के अनुसार, मारे गए लोगों में महिलाएँ और बच्चे भी शामिल हैं, जबकि कई नागरिक गंभीर रूप से घायल हुए हैं। इस अचानक हुए हमले ने गाज़ा के पहले से ही संकटग्रस्त स्वास्थ्य ढांचे पर और दबाव बढ़ा दिया है, क्योंकि इलाके के अस्पताल लगातार बढ़ते घायलों और सीमित संसाधनों के बीच काम कर रहे हैं। गाज़ा में यह कार्रवाई ऐसे समय पर सामने आई है जब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर संघर्ष विराम को लेकर उम्मीदें बढ़ रही थीं और राहत सामग्री व चिकित्सा सहायता पहुंचाने की कोशिशें जारी थीं।
इज़रायल की सेना ने दावा किया कि उसकी एयरस्ट्राइक का निशाना हामास के सैन्य ठिकाने, भूमिगत बंकर और कमान से जुड़े ठिकाने थे। सेना ने यह भी कहा कि हमले उन ‘‘खतरों’’ को रोकने के लिए किए गए, जो सीमा के पास हामास की गतिविधियों के रूप में सामने आए थे। हालांकि, गाज़ा के स्वास्थ्य विभाग और स्थानीय नागरिक संगठनों ने इस दावे को चुनौती देते हुए कहा कि हमलों में बड़ी संख्या में नागरिक प्रभावित हुए हैं और हमले रिहायशी इलाकों पर हुए। इसके कारण स्थानीय इलाकों में गहरी नाराजगी और भय का माहौल बना हुआ है। गाज़ा निवासियों के अनुसार, कई परिवार मलबे में अपने परिजनों को तलाशते रहे, जबकि बचावकर्मी लगातार दबाव में काम करते रहे।
हामास ने इज़रायल के इस कदम को स्पष्ट रूप से ‘‘सीज़फ़ायर का उल्लंघन’’ करार दिया है और अंतरराष्ट्रीय समुदाय से हस्तक्षेप की अपील की है। उनका कहना है कि इज़रायल के हमले क्षेत्र में शांति बहाली की कोशिशों को कमजोर कर रहे हैं। दूसरी ओर इज़रायल ने अपने बयान में कहा कि उसने केवल ‘‘आतंकी ढांचों’’ को निशाना बनाया और नागरिकों की मौत के लिए हामास को जिम्मेदार ठहराया। इन आरोपों और दावों के बीच, दोनों पक्षों के बीच अविश्वास और तनाव और गहरा होता दिख रहा है। वहीं, गाज़ा की जनता इस संघर्ष का सबसे बड़ा खामियाजा भुगतती दिखाई दे रही है।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी इन हमलों ने चिंता बढ़ा दी है। संयुक्त राष्ट्र की एजेंसियों, मध्य-पूर्व के देशों और यूरोपीय संघ ने नागरिकों पर पड़ रहे प्रभाव को गंभीर मुद्दा बताया है और दोनों पक्षों से संयम बरतने की अपील की है। मानवाधिकार संगठनों ने कहा है कि लगातार होने वाली हवाई कार्रवाई न केवल मानवीय संकट को बढ़ा रही है बल्कि अस्पतालों, राहत कैंपों और शरणार्थी शिविरों को भी असुरक्षित बना रही है। गाज़ा में राहत पहुंचाने वाली एजेंसियों का कहना है कि सुरक्षा हालात बिगड़ने से उनके अभियान भी बाधित हो रहे हैं, जिससे स्थिति और गंभीर होती जा रही है।
इन घटनाओं ने अक्टूबर में घोषित अस्थायी सीज़फ़ायर की प्रभावशीलता पर प्रश्न खड़े कर दिए हैं। दोनों ओर से आरोपों के बीच यह संघर्ष अब एक महत्वपूर्ण मोड़ पर है, जहाँ अंतरराष्ट्रीय दबाव की दिशा और कूटनीतिक कोशिशें यह तय करेंगी कि क्या शांति की राह फिर से खोली जा सकती है या क्षेत्र एक बार फिर बड़े पैमाने पर हिंसा की ओर बढ़ेगा। फिलहाल गाज़ा के नागरिक भय और असुरक्षा के माहौल में जीवन बिता रहे हैं, जबकि उनके सामने मानवीय संकट लगातार गहराता जा रहा है।













