साइबर फ्रॉड और जबरन रोजगार से बचे भारतीय, थाईलैंड से घर लौटने की प्रक्रिया पूरी

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म्यांमार के स्कैम सेंटरों से रिहा किए गए 125 भारतीय नागरिक थाईलैंड के माए सॉट से विशेष भारतीय वायुसेना की उड़ान के माध्यम से बुधवार को भारत लौट आए। इस पुनर्वास अभियान के साथ ही इस साल मार्च से अब तक म्यांमार के विभिन्न स्कैम हब जैसे मायावाडी और KK पार्क से थाईलैंड होते हुए कुल 1,500 भारतीय नागरिक अपने घर लौट चुके हैं। इन नागरिकों की सुरक्षित वापसी में थाईलैंड सरकार, भारतीय दूतावास और भारतीय वायुसेना के बीच समन्वय अहम भूमिका निभा रहा है।

म्यांमार में स्थित इन साइबर अपराध केंद्रों में कई भारतीय नागरिक नौकरी का झांसा देकर लाए गए और उन्हें ऑनलाइन फ्रॉड में शामिल होने के लिए मजबूर किया गया। कई बार इन्हें बंधुआ मजदूरी का भी सामना करना पड़ा। इस वजह से ये केंद्र अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मानव तस्करी और साइबर अपराध के गंभीर मामले के रूप में उभर चुके हैं। थाईलैंड प्रशासन ने सीमा पर अस्थायी आश्रय स्थल बनाकर इन नागरिकों की पहचान और यात्रा दस्तावेजों की जांच की, जिसके बाद भारतीय वायुसेना की मदद से उन्हें सुरक्षित रूप से भारत लाया गया।

रिटर्न किए गए नागरिकों में से कुछ से केंद्रीय एजेंसियां पूछताछ भी कर रही हैं ताकि यह स्पष्ट किया जा सके कि कौन लोग अपराध में शामिल थे और कौन पीड़ित थे। विदेश मंत्रालय ने भी लगातार चेतावनी जारी की है कि विदेश में नौकरी के प्रस्तावों का सत्यापन किया जाए, भरोसेमंद एजेंट या रोजगार दलालों से ही संपर्क किया जाए और किसी भी अनियोजित यात्रा या असुरक्षित परिस्थितियों में न फंसा जाए। साथ ही उन नागरिकों के मामलों में जिनके पास वैध दस्तावेज़ नहीं थे, कूटनीतिक समन्वय जारी रहेगा।

विश्लेषकों का कहना है कि यह घटना दक्षिण-पूर्व एशिया के सीमावर्ती इलाकों में संचालित बड़े साइबर फ्रॉड और मानव तस्करी नेटवर्क की गंभीरता को उजागर करती है। भारत-थाईलैंड के सहयोग और भारतीय वायुसेना की मदद से चल रही रेस्क्यू और रैपिट्रेशन ऑपरेशन इस चुनौती का सामना करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम साबित हो रहे हैं। नागरिकों को विदेश यात्रा से पहले नियोजक और नौकरी प्रस्तावों की पूरी पड़ताल करने, वीज़ा और कार्य परमिट दस्तावेज़ों की पुष्टि करने और किसी भी अनैतिक या जबरन गतिविधि की स्थिति में तुरंत नज़दीकी भारतीय दूतावास या कांसुलेट से संपर्क करने की सलाह दी गई है।

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