दिल्ली में वायु प्रदूषण एक बार फिर खतरनाक स्तर पर पहुंच गया है और गुरुवार सुबह शहर का औसत AQI 400 के पार दर्ज किया गया, जिससे राजधानी घनी और जहरीली धुंध की मोटी चादर में लिपट गई। मौसम में ठंडक बढ़ने, हवा की गति कम होने और प्रदूषित कणों के ज़मीन के नज़दीक जमा रहने के कारण हालात लगातार बिगड़ते चले गए। कई मॉनिटरिंग स्टेशनों पर AQI 430 से 470 तक दर्ज किया गया, जिसमें वज़ीरपुर, मोतीबाग और ढौला कुआं जैसे क्षेत्र सबसे अधिक प्रभावित रहे। विशेषज्ञों का कहना है कि इस बार प्रदूषण में वृद्धि कई कारणों का संयुक्त प्रभाव है—जिनमें बेहद धीमी हवाएँ, तापमान में गिरावट, वाहनों से निकलने वाला धुआँ, स्थानीय औद्योगिक गतिविधियाँ, निर्माण-धूल और कभी-कभी पड़ोसी राज्यों से आने वाला पराली धुआँ शामिल हैं। इन परिस्थितियों ने प्रदूषक कणों को फैलने नहीं दिया और पूरी राजधानी के ऊपर जहरीला स्मॉग परत की तरह जमा हो गया।
बिगड़ते हालात को देखते हुए प्रशासन की ओर से ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (GRAP) के सख्त चरण लागू करने की तैयारी की जा रही है, जिसके तहत गैर-जरूरी निर्माण गतिविधियों पर रोक, प्रदूषण फैलाने वाली औद्योगिक इकाइयों की निगरानी, वाहन उपयोग की सीमितता और सार्वजनिक स्वास्थ्य संबंधी चेतावनियाँ जारी करने जैसे कदम शामिल हैं। सुप्रीम कोर्ट और वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) ने भी संबंधित एजेंसियों को दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए तुरंत और प्रभावी कार्रवाई सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं। प्रदूषण के इस स्तर पर लोगों के स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव पड़ने का खतरा बढ़ जाता है। डॉक्टरों ने चेतावनी दी है कि बुजुर्गों, बच्चों, गर्भवती महिलाओं और दमा या हृदय रोग से पीड़ित लोगों के लिए वर्तमान स्थिति बेहद जोखिमभरी है। आँखों में जलन, गले में खराश, खांसी, सांस फूलना और सीने में भारीपन जैसे लक्षणों में अचानक वृद्धि देखी जा रही है।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने नागरिकों को सलाह दी है कि जब तक अत्यंत आवश्यक न हो, बाहर निकलने से बचें और घर के अंदर भी वायु शुद्धिकरण का ध्यान रखें। बाहर निकलने की स्थिति में N95 या FFP2 मास्क का उपयोग करना जरूरी बताया गया है। इसके साथ ही सुबह-शाम के समय खुले में व्यायाम, दौड़ना या खेलकूद पूरी तरह टालने की सलाह दी गई है क्योंकि इन समयों में प्रदूषण का स्तर सबसे ऊँचा होता है। मौसम विभाग का अनुमान है कि अगर हवा की गति नहीं बढ़ी और तापमान में गिरावट जारी रही तो अगले कुछ दिनों में प्रदूषण का स्तर और बढ़ सकता है, जिससे राजधानी में प्रतिबंधों को और कड़ा किया जा सकता है। फिलहाल दिल्ली की हवा सांस लेने लायक नहीं रह गई है, और ऐसे में प्रशासनिक प्रयासों के साथ-साथ नागरिकों की जिम्मेदारी भी बेहद महत्वपूर्ण हो गई है ताकि प्रदूषण के इस वार्षिक संकट को और गंभीर होने से रोका जा सके।













