सुप्रीम कोर्ट ने देश में बढ़ते वायु-प्रदूषण और उससे निपटने के लिए लागू किए जाने वाले ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान (GRAP) के दौरान मजदूरों की आजीविका पर पड़ने वाले प्रभाव को गंभीरता से उठाया है। अदालत ने स्पष्ट आदेश दिया है कि जब भी प्रदूषण के उच्च स्तर—विशेषकर GRAP-3 या उससे ऊपर—के कारण निर्माण गतिविधियों पर रोक लगानी पड़े, तो इससे प्रभावित मजदूरों को गुजारा भत्ता (subsistence allowance) प्रदान किया जाना अनिवार्य होगा। कोर्ट ने कहा कि निर्माण स्थलों पर काम रुकने से हजारों मजदूरों की दैनिक आय बंद हो जाती है, इसलिए राज्य सरकारों का दायित्व है कि वे ऐसे श्रमिकों को आर्थिक सहायता उपलब्ध कराएँ ताकि वे कठिन परिस्थितियों में संघर्ष न करें।
अदालत ने दिल्ली, हरियाणा, पंजाब और राजस्थान सरकारों को निर्देशित किया कि वे निर्माण बंदी के समय प्रभावित मजदूरों की पहचान करें और उन्हें समयबद्ध तरीके से भत्ता देने की समुचित व्यवस्था बनाएं। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि मजदूरों के गुजारे के लिए लेबर सेस और अन्य उपलब्ध श्रमिक कल्याण कोषों का उपयोग किया जा सकता है। कोर्ट ने पहले दिए गए अपने आदेशों का हवाला देते हुए कहा कि श्रमिकों को नुकसान की भरपाई श्रम-संबंधी फंडों से किया जाना कानूनी रूप से पूरी तरह संभव है और इसके लिए अलग से विशेष आदेश की आवश्यकता नहीं।
अदालत ने इस बात पर भी जोर दिया कि प्रदूषण नियंत्रण के नाम पर वर्षभर निर्माण कार्यों पर कठोर रोक लगाना उचित नहीं होगा, क्योंकि इससे अर्थव्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है और लाखों मजदूर बेरोजगारी के संकट में फंस जाते हैं। इसलिए आवश्यक है कि प्रदूषण नियंत्रण के उपाय भी लागू हों और मजदूरों की आजीविका की सुरक्षा भी सुनिश्चित रहे। सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों से प्रभावी और दीर्घकालिक नीतिगत कदम उठाने, नियमित समीक्षा करने और प्रदूषण के स्तर को नियंत्रित रखने के लिए वैज्ञानिक तरीके अपनाने की अपील की।
अदालत के इस आदेश के बाद राज्यों की जिम्मेदारी और स्पष्ट हो गई है — एक ओर प्रदूषण नियंत्रण के सख्त प्रावधानों का पालन करवाना, और दूसरी ओर निर्माण बंदी से प्रभावित मजदूरों को राहत पहुंचाना। सुप्रीम कोर्ट ने संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे इन आदेशों के अनुपालन की निगरानी करें और सुनिश्चित करें कि किसी भी मजदूर को आजीविका संकट का सामना न करना पड़े। यह फैसला प्रदूषण नियंत्रण और श्रमिक कल्याण, दोनों के बीच संतुलन स्थापित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।













