बिहार की राजनीति एक बार फिर तेज़ उथल-पुथल के दौर से गुजर रही है। विश्वसनीय सूत्रों के अनुसार मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सोमवार को प्रस्तावित कैबिनेट बैठक के बाद अपना इस्तीफा राज्यपाल को सौंपने का फैसला कर चुके हैं। इस्तीफा दिए जाने के तुरंत बाद नई सरकार गठन की आधिकारिक प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। एनडीए गठबंधन ने पहले ही तैयारी शुरू कर दी है और मुख्यमंत्री पद के लिए विधायक दल की बैठक में नीतीश कुमार के नाम पर सहमति बनने की संभावना अधिक मानी जा रही है। इस्तीफे के बाद उसी बैठक में उन्हें पुनः विधायक दल का नेता चुना जाएगा और इसके बाद वह राज्यपाल के समक्ष नई सरकार बनाने का दावा पेश करेंगे।
सूत्र बताते हैं कि नई सरकार के शपथ ग्रहण समारोह की संभावित तारीख अगले 48–72 घंटों के भीतर तय हो सकती है। माना जा रहा है कि शपथ समारोह बुधवार या गुरुवार को आयोजित किया जा सकता है, हालांकि अंतिम तारीख प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उपलब्धता को ध्यान में रखकर घोषित की जाएगी। केंद्र से लेकर राज्य तक, दोनों स्तरों पर इस प्रक्रिया को लेकर गहन समन्वय जारी है। बताया जा रहा है कि शपथ कार्यक्रम को इस बार अधिक व्यापक और बड़े स्तर पर आयोजित करने पर भी विचार किया जा रहा है। कुछ रिपोर्टों में यह भी संकेत दिया गया है कि पारंपरिक राजभवन परिसर की बजाय शपथग्रहण का आयोजन गांधी मैदान जैसे बड़े स्थल पर हो सकता है, ताकि गठबंधन की राजनीतिक शक्ति का सार्वजनिक प्रदर्शन हो सके। हालांकि इस पर अंतिम निर्णय शपथ की तारीख तय होने के बाद ही होगा।
उधर, नई सरकार के स्वरूप को लेकर भी चर्चा तेज़ है। गठबंधन के अंदर कैबिनेट फार्मूला और विभागों के बंटवारे पर व्यापक सहमति लगभग बन चुकी है। बताया जाता है कि शीर्ष नेतृत्व की मौजूदगी में मंत्रिमंडल के संभावित चेहरे और पदों का अनुपात तैयार कर लिया गया है। एनडीए के बड़े सहयोगी भाजपा और जेडीयू, दोनों दलों ने अपने-अपने स्तर पर संभावित मंत्रियों के नामों की सूची को अंतिम रूप देना शुरू कर दिया है। बिहार विधानसभा चुनाव में बड़े अंतर से मिली सफलता के बाद गठबंधन के भीतर पूर्ण बहुमत का आत्मविश्वास देखा जा रहा है। इस चुनाव में भाजपा सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी, जबकि जेडीयू ने भी मजबूत प्रदर्शन करते हुए गठबंधन की स्थिति को स्थिर रखा। इस परिणाम ने नीतीश कुमार के नेतृत्व में एक बार फिर स्थिर सरकार बनने का रास्ता साफ किया है।
यदि सबकुछ योजनानुसार आगे बढ़ता है, तो नीतीश कुमार बिहार के मुख्यमंत्री के रूप में अपना दसवां कार्यकाल शुरू कर सकते हैं, जो राज्य की राजनीति में अपने आप में एक ऐतिहासिक घटना होगी। लंबे राजनीतिक अनुभव और गठबंधन राजनीति के संतुलन को साधने की उनकी कला के कारण उन्हें एनडीए में सर्वस्वीकार्य नेता माना जा रहा है। वहीं विपक्ष की ओर से सरकार गठन की इस प्रक्रिया पर सवाल उठते रहे हैं, लेकिन चुनाव के बाद की परिस्थितियाँ स्पष्ट रूप से दिखाती हैं कि गठबंधन के पास संख्या बल और समर्थन, दोनों ही पर्याप्त हैं।
कुल मिलाकर, बिहार में अगले कुछ दिनों के भीतर सत्ता परिवर्तन की औपचारिक प्रक्रिया पूरी हो जाएगी। इस्तीफा, दावा पेश करना, शपथ ग्रहण की घोषणा और मंत्रिमंडल विस्तार—ये सभी चरण क्रमवार तरीके से पूरे किए जाएंगे। राज्य प्रशासन ने भी सुरक्षा प्रबंधों और कार्यक्रम स्थल से जुड़े इंतजामों की प्रारंभिक तैयारी शुरू कर दी है। अब सभी की नजरें इस बात पर टिकी हैं कि आखिर नई सरकार के शपथ ग्रहण की तारीख कब तय की जाती है और मंत्रिमंडल में कौन-कौन से चेहरे शामिल होते हैं।













