कनाडा के नियाग्रा में आयोजित जी-7 विदेश मंत्रियों की बैठक के दौरान भारत के विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने कई देशों के समकक्षों से द्विपक्षीय वार्ता की। इस बैठक में भारत को “आउटरीच नेशन” के रूप में आमंत्रित किया गया था, जहां जयशंकर ने वैश्विक दक्षिण (Global South) की आवाज़ को प्रमुखता से रखा। उन्होंने वैश्विक चुनौतियों, क्षेत्रीय सुरक्षा, आर्थिक सहयोग और बहुपक्षीय साझेदारी जैसे मुद्दों पर विचार-विमर्श किया। यह दौर भारत की वैश्विक कूटनीतिक सक्रियता और रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत करने की दिशा में महत्वपूर्ण साबित हुआ।
जयशंकर ने जर्मनी के विदेश मंत्री जोहान वाडेफुल से मुलाकात में भारत-जर्मनी रणनीतिक साझेदारी को और सशक्त बनाने पर चर्चा की। दोनों नेताओं ने इंडो-पैसिफिक क्षेत्र की स्थिरता, मध्य पूर्व की सुरक्षा स्थिति और अफगानिस्तान के हालात पर विचार साझा किए। बैठक के दौरान यह सहमति बनी कि भारत और जर्मनी आर्थिक, रक्षा और प्रौद्योगिकी क्षेत्रों में अपने सहयोग को नई ऊंचाइयों पर ले जाएंगे।
फ्रांस के विदेश मंत्री जीन-नोएल बैरोट के साथ जयशंकर की वार्ता भी बेहद सार्थक रही। दोनों देशों के बीच लंबे समय से चली आ रही रणनीतिक साझेदारी को और गहराई देने पर जोर दिया गया। उन्होंने वैश्विक सुरक्षा, तकनीकी साझेदारी, जलवायु परिवर्तन और बहुपक्षीय मंचों पर सहयोग के नए रास्तों पर चर्चा की। फ्रांस और भारत दोनों ने संयुक्त रूप से अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं में सुधार और वैश्विक शांति के प्रयासों में एकजुटता दिखाने का संकल्प जताया।
ब्राज़ील के विदेश मंत्री माउरो विएरा से हुई मुलाकात में जयशंकर ने व्यापार, निवेश, स्वास्थ्य और टेक्नोलॉजी जैसे क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने पर चर्चा की। दोनों देशों ने ‘ग्लोबल साउथ’ के मुद्दों को वैश्विक मंचों पर मजबूती से उठाने की आवश्यकता पर बल दिया। भारत और ब्राज़ील ने मिलकर सतत विकास, हरित ऊर्जा और वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में सहयोग की संभावनाओं पर विचार किया।
ब्रिटेन की विदेश सचिव यवेट कूपर के साथ बातचीत में जयशंकर ने “इंडिया-यूके विज़न 2035” को आगे बढ़ाने का संकल्प दोहराया। दोनों नेताओं ने शिक्षा, नवाचार, तकनीक और वैश्विक शासन जैसे क्षेत्रों में सहयोग पर चर्चा की। उन्होंने द्विपक्षीय व्यापार वार्ता की प्रगति की भी समीक्षा की और आर्थिक संबंधों को नई दिशा देने की बात कही।
कनाडा की विदेश मंत्री अनिता आनंद के साथ हुई मुलाकात में जयशंकर ने द्विपक्षीय संबंधों को सशक्त करने की प्रतिबद्धता जताई। दोनों नेताओं ने व्यापार, ऊर्जा और सुरक्षा सहयोग के क्षेत्रों में नई संभावनाओं पर चर्चा की। कनाडा में आयोजित जी-7 बैठक ने भारत को अपने वैश्विक दृष्टिकोण को प्रस्तुत करने का एक अहम मंच दिया, जहां जयशंकर ने विकासशील देशों के हितों और चिंताओं को प्रभावी ढंग से रखा।
कुल मिलाकर, जी-7 विदेश मंत्रियों की यह बैठक भारत की विदेश नीति के लिए एक महत्वपूर्ण पड़ाव रही। जयशंकर ने न केवल प्रमुख वैश्विक शक्तियों के साथ संवाद को मजबूत किया बल्कि भारत को विश्व मंच पर एक संतुलित, व्यावहारिक और निर्णायक कूटनीतिक शक्ति के रूप में स्थापित करने की दिशा में कदम बढ़ाया। इन बैठकों ने यह भी स्पष्ट किया कि भारत अब केवल एक क्षेत्रीय खिलाड़ी नहीं, बल्कि वैश्विक समाधान का सक्रिय साझेदार बन चुका है।













