बिहार में गरमााया चुनावी माहौल, योगी बोले – INDI गठबंधन के तीन बंदर विकास नहीं देख पाते

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बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के प्रचार अभियान के दौरान उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दरभंगा जिले के केवटी विधानसभा क्षेत्र में एनडीए उम्मीदवार के समर्थन में एक जनसभा को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने महागठबंधन (INDI गठबंधन) पर तीखा प्रहार करते हुए कहा कि इसमें ‘पप्पू, अप्पू और टप्पू’ नाम के तीन “बंदर” हैं। योगी ने व्यंग्य करते हुए कहा कि इन तीनों का काम है — सच्चाई को न देखना, न सुनना और न बोलना। उनका इशारा राहुल गांधी, तेजस्वी यादव और अखिलेश यादव की ओर था। योगी ने कहा कि इन नेताओं को जनता के बीच हो रहे विकास, रोजगार के अवसर और कानून-व्यवस्था में सुधार दिखाई नहीं देते, क्योंकि वे केवल सत्ता की राजनीति में व्यस्त हैं।

योगी आदित्यनाथ ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बिहार और उत्तर प्रदेश में “डबल इंजन की सरकार” ने विकास की नई मिसाल कायम की है। उन्होंने दावा किया कि मोदी सरकार ने गरीबों के उत्थान, युवाओं के रोजगार और किसानों के हित में कई योजनाएं शुरू की हैं, लेकिन महागठबंधन के नेताओं को यह सब नजर नहीं आता। योगी ने कहा कि जनता अब विकास और सुशासन चाहती है, न कि जाति और परिवारवाद की राजनीति।

मुख्यमंत्री ने अपनी रैली में महागठबंधन के नेतृत्व पर भी सवाल उठाते हुए कहा कि अगर राहुल गांधी बिहार में प्रचार करने आते हैं तो एनडीए की जीत तय है, क्योंकि जनता उनके नेतृत्व को स्वीकार नहीं करती। उन्होंने तेजस्वी यादव पर निशाना साधते हुए कहा कि “जो अपने पिता का नाम लिखने में शर्म महसूस करता है, वह जनता की सेवा क्या करेगा?” योगी ने मतदाताओं से अपील की कि वे भ्रमित न हों और भाजपा-जदयू गठबंधन को पुनः विजयी बनाएं ताकि बिहार के विकास की गति को और मजबूती मिले।

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि योगी आदित्यनाथ का यह बयान चुनावी माहौल में हलचल पैदा करने वाला है। महागठबंधन के खिलाफ इस प्रकार की व्यंग्यात्मक टिप्पणी से भाजपा ने चुनावी रुझान को अपने पक्ष में मोड़ने की कोशिश की है। वहीं, विपक्षी दलों का कहना है कि योगी के बयान से उनकी हताशा झलकती है, क्योंकि जनता इस बार असल मुद्दों पर वोट देगी।

योगी का यह “तीन बंदर” वाला बयान न केवल चुनावी व्यंग्य का उदाहरण बना, बल्कि यह भी स्पष्ट कर गया कि बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव राजनीतिक बयानबाजी और तीखे आरोप-प्रत्यारोप के दौर से गुजरने वाला है। आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि महागठबंधन इस बयान का किस तरह से जवाब देता है और मतदाता इन राजनीतिक तंजों को किस रूप में लेते हैं।

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