बांग्लादेश की राजनीति में एक बड़ा घटनाक्रम सामने आया है। देश की अपराध अन्वेषण विभाग (CID) ने पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना और उनके साथ 260 अन्य लोगों को देशद्रोह के मामले में फरार घोषित किया है। यह मामला सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘जॉय बांग्ला ब्रिगेड’ के माध्यम से सरकार उखाड़ फेंकने की कथित साजिश से जुड़ा है। CID ने अदालत के आदेश के बाद दो राष्ट्रीय अखबारों में इन सभी के खिलाफ नोटिस प्रकाशित किए हैं, जिसमें उन्हें फरार घोषित कर पेश होने के लिए कहा गया है। जांच एजेंसी के अनुसार, डिजिटल माध्यम से देश की सरकार को अस्थिर करने और जनता को भड़काने की योजना बनाई गई थी, जिसके साक्ष्य फॉरेंसिक जांच में सामने आए हैं।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, CID ने इस मामले में क्रिमिनल प्रोसिजर कोड (CrPC) की धारा 196 के तहत गृह मंत्रालय की मंजूरी लेकर जांच शुरू की थी। एजेंसी ने सोशल मीडिया अकाउंट्स, सर्वर लॉग और डिजिटल डेटा की जांच की, जिसमें कई विदेशी संपर्कों और ऑनलाइन नेटवर्क की संलिप्तता के संकेत मिले। इसी आधार पर कुल 286 व्यक्तियों के खिलाफ आरोपपत्र तैयार किया गया, जिनमें पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना का नाम भी शामिल है। अदालत ने आरोपियों के खिलाफ नोटिस जारी करते हुए उन्हें फरार घोषित किया, जिसके बाद सरकारी प्रक्रिया के तहत गिरफ्तारी वारंट और संपत्ति जब्ती की कार्रवाई भी संभव है।
जांच एजेंसी का दावा है कि अब तक इस मामले में 25 से अधिक आरोपियों की गिरफ्तारी हो चुकी है, जबकि कई बड़े नाम विदेश में हैं, इसलिए उनके खिलाफ फरारी की कार्यवाही की गई। CID के अनुसार, ‘जॉय बांग्ला ब्रिगेड’ के डिजिटल नेटवर्क के जरिए बांग्लादेश सरकार को गिराने और प्रशासनिक ढांचे को नुकसान पहुंचाने की योजना बनाई गई थी। बताया जा रहा है कि इन चैनलों के माध्यम से झूठे प्रचार, हिंसा भड़काने और विपक्षी गतिविधियों को बढ़ावा देने का कार्य किया गया।
गौरतलब है कि शेख हसीना पर यह आरोप ऐसे समय में लगे हैं जब देश में राजनीतिक अस्थिरता और सत्ता परिवर्तन के बाद नए राजनीतिक समीकरण बन रहे हैं। वर्ष 2024 में हुए बड़े विरोध-प्रदर्शनों के दौरान उनकी सरकार गिर गई थी, जिसके बाद उन पर मानवाधिकार उल्लंघन और भ्रष्टाचार जैसे कई आरोप लगे। कुछ रिपोर्टों में यह भी कहा गया है कि हसीना इस समय भारत में निर्वासन में हैं और बांग्लादेश सरकार ने उनके प्रत्यर्पण की प्रक्रिया शुरू की है।
राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, यह कार्रवाई बांग्लादेश की राजनीति में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकती है। पूर्व प्रधानमंत्री पर देशद्रोह जैसे गंभीर आरोप लगने और उनके समर्थकों के खिलाफ बड़े पैमाने पर कानूनी कार्रवाई से देश के अंदर राजनीतिक तनाव और बढ़ सकता है। आगामी चुनावों, प्रशासनिक स्थिरता और अंतरराष्ट्रीय संबंधों पर भी इसका असर पड़ने की संभावना जताई जा रही है।













