बिहार चुनाव: प्रत्याशी की नाम वापसी पर भड़के प्रशांत किशोर, धर्मेंद्र प्रधान पर लगाया दबाव डालने का आरोप

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बिहार विधानसभा चुनाव के बीच जन सुराज पार्टी के संस्थापक प्रशांत किशोर ने एक बड़ा आरोप लगाते हुए राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी है। प्रशांत किशोर ने कहा कि उनकी पार्टी के तीन प्रत्याशियों को नामांकन वापस लेने के लिए मजबूर किया गया है। उन्होंने दावा किया कि यह दबाव भाजपा के शीर्ष नेताओं की ओर से बनाया गया, जिसमें केंद्रीय मंत्री और बिहार चुनाव प्रभारी धर्मेंद्र प्रधान की भूमिका सबसे प्रमुख है। किशोर ने अपने आरोपों के समर्थन में कुछ तस्वीरें भी साझा कीं और कहा कि यह स्पष्ट प्रमाण हैं कि उनके उम्मीदवारों पर दबाव डाला गया।

मीडिया से बातचीत में प्रशांत किशोर ने कहा कि लोकतंत्र में निष्पक्ष चुनाव की गारंटी सभी को मिलनी चाहिए, लेकिन बिहार में जिस तरह से उम्मीदवारों को धमकाकर नाम वापस लेने पर मजबूर किया गया, वह लोकतांत्रिक मूल्यों का मज़ाक उड़ाने जैसा है। उन्होंने कहा कि तीन प्रत्याशियों के नामांकन वापसी के पीछे “राजनीतिक भय और शक्ति का दुरुपयोग” है। किशोर ने आरोप लगाया कि भाजपा की चुनावी मशीनरी प्रशासनिक प्रभाव का इस्तेमाल कर रही है, ताकि विपक्षी दलों को कमजोर किया जा सके।

प्रशांत किशोर ने इस मुद्दे को गंभीर बताते हुए चुनाव आयोग से तत्काल हस्तक्षेप की मांग की है। उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग को स्वतः संज्ञान लेकर इस मामले की जांच करनी चाहिए और यदि आरोप सही पाए जाते हैं, तो दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर इस तरह की घटनाओं पर अंकुश नहीं लगाया गया, तो लोकतांत्रिक प्रक्रिया पर आम जनता का भरोसा टूट जाएगा।

जन सुराज पार्टी के तीन प्रत्याशियों के नामांकन वापस लेने की खबर के बाद राजनीतिक गलियारों में सरगर्मी बढ़ गई है। विपक्षी दलों ने भी इस घटना को लोकतंत्र के लिए खतरा बताया है। प्रशांत किशोर का कहना है कि उनकी पार्टी “भयमुक्त राजनीति” की पक्षधर है, लेकिन वर्तमान स्थिति में ऐसा वातावरण नहीं दिख रहा। उन्होंने यह भी कहा कि उनके पास ऐसे प्रमाण हैं जो यह साबित करते हैं कि स्थानीय स्तर पर भाजपा नेताओं और अधिकारियों के माध्यम से दबाव बनाया गया।

अब पूरे मामले पर सबकी निगाहें चुनाव आयोग और भाजपा की प्रतिक्रिया पर टिकी हैं। भाजपा की ओर से इस मुद्दे पर अभी तक कोई औपचारिक बयान नहीं दिया गया है, लेकिन पार्टी सूत्रों ने मीडिया में कहा है कि प्रशांत किशोर के आरोप निराधार और राजनीतिक लाभ के उद्देश्य से लगाए गए हैं। वहीं, प्रशांत किशोर ने साफ किया है कि उनकी लड़ाई केवल अपनी पार्टी के लिए नहीं, बल्कि बिहार में स्वच्छ और निष्पक्ष राजनीति के लिए है।

इस विवाद के बाद बिहार चुनाव में सियासी पारा चढ़ गया है। एक ओर जहां जन सुराज पार्टी इसे “राजनीतिक दबाव का मामला” बता रही है, वहीं भाजपा इसे “राजनीतिक नौटंकी” करार दे रही है। प्रशांत किशोर ने कहा कि वे इस मुद्दे को जनता के सामने लगातार उठाते रहेंगे और यदि आवश्यकता पड़ी तो वे साक्ष्य सहित चुनाव आयोग में औपचारिक शिकायत दर्ज कराएंगे।

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