भारत का लड़ाकू विमान कार्यक्रम: इंजन पर 65,400 करोड़ का निवेश और AMCA के लिए वैश्विक साझेदारी

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भारत सरकार ने अगले दशक में अपने लड़ाकू विमान कार्यक्रमों के लिए इंजन विकास और खरीद पर लगभग 65,400 करोड़ रुपये (7.44 अरब डॉलर) खर्च करने का ऐलान किया है। यह निवेश 2035 तक लगभग 1,100 विमानों के इंजन की जरूरतों को पूरा करने के लिए किया जाएगा, जिसमें स्वदेशी तेजस, AMCA (एडवांस्ड मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट) और अन्य परियोजनाएं शामिल हैं। इस महत्वाकांक्षी योजना के तहत भारत ने AMCA के लिए वैश्विक साझेदारी को तेज करने की दिशा में भी कदम बढ़ाए हैं।

AMCA के लिए प्रमुख कदमों में फ्रांस की एयरोस्पेस कंपनी Safran के साथ 120 किलो न्यूटन क्षमता वाले इंजन के सह-विकास का समझौता शामिल है, जिसकी लागत लगभग 7 अरब डॉलर (61,000 करोड़ रुपये) अनुमानित है। यह इंजन 2028 तक परीक्षण उड़ानों के लिए तैयार होने की उम्मीद है। इसके अलावा, भारत ने स्वदेशी इंजन निर्माण को बढ़ावा देने के लिए GE Aerospace के साथ F414 इंजन के सह-निर्माण का समझौता किया है। इस समझौते के तहत GE F414 इंजन की तकनीकी जानकारी का 80 प्रतिशत हस्तांतरण भारत को किया जाएगा, जिससे देश की स्वदेशी निर्माण क्षमता में वृद्धि होगी।

तेजस Mk1A के उत्पादन में भी तेजी आई है। हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) के नासिक संयंत्र में तेजस Mk1A की पहली उड़ान सफलतापूर्वक पूरी हो चुकी है। नासिक संयंत्र अब HAL की तीसरी उत्पादन लाइन के रूप में काम करेगा और वार्षिक उत्पादन क्षमता 30 विमानों तक बढ़ाने में मदद करेगा। हालांकि, GE F404 इंजन की आपूर्ति में देरी के कारण उत्पादन प्रक्रिया में चुनौतियाँ बनी हुई हैं।

सारांशतः, भारत का लड़ाकू विमान कार्यक्रम और AMCA के लिए वैश्विक साझेदारी रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की दिशा में महत्वपूर्ण कदम हैं। इंजन विकास में निवेश और अंतरराष्ट्रीय सहयोग के माध्यम से भारत अपनी तकनीकी क्षमता बढ़ा रहा है और भविष्य में स्वदेशी और आधुनिक लड़ाकू विमानों के निर्माण की दिशा में मजबूती से आगे बढ़ रहा है।

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