सीएम फडणवीस के सामने नक्सली कमांडर ने डाले हथियार, 35 साल का माओवादी प्रभाव खत्म

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महाराष्ट्र के गढ़चिरौली जिले में मंगलवार रात एक ऐतिहासिक घटना घटी, जब माओवादी संगठन के वरिष्ठ नेता मल्लोजुला वेणुगोपाल राव, जिन्हें सोनू भूपति के नाम से जाना जाता है, ने 60 अन्य नक्सलियों के साथ आत्मसमर्पण कर दिया। इस आत्मसमर्पण को राज्य में अब तक का सबसे बड़ा माना जा रहा है। मौके पर मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, पुलिस महानिदेशक रश्मि शुक्ला और अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।

सोनू भूपति माओवादी पोलितब्यूरो के सदस्य और पीपुल्स लिबरेशन गुरिल्ला आर्मी (PLGA) के प्रमुख रणनीतिकार रहे हैं। उनके ऊपर 6 करोड़ रुपये का इनाम घोषित था और उन्होंने 35 वर्षों तक अभुजमढ़ क्षेत्र से माओवादी गतिविधियों का संचालन किया। उनकी पत्नी भी एक पूर्व माओवादी उग्रवादी हैं, जिन्होंने पिछले वर्ष आत्मसमर्पण किया था।

आत्मसमर्पण की प्रक्रिया में सोनू भूपति ने गढ़चिरौली पुलिस मुख्यालय तक पहुंचने के लिए लगभग 25 किलोमीटर का जंगल मार्ग तय किया। इस दौरान कुल 54 हथियार पुलिस के हवाले किए गए, जिनमें 7 AK-47 राइफलें और 9 INSAS राइफलें शामिल थीं। इसके साथ ही माओवादी केंद्रीय समिति के सदस्य और 10 क्षेत्रीय समिति के सदस्य भी आत्मसमर्पण में शामिल थे, जो संगठन की उच्चतम पंक्ति में थे।

महाराष्ट्र सरकार ने नक्सलियों के आत्मसमर्पण के लिए विशेष पुनर्वास नीति तैयार की है, जिसके तहत उन्हें समाज की मुख्यधारा में पुनः स्थापित किया जाएगा। इस आत्मसमर्पण को ‘ऑपरेशन कागार’ के तहत एक बड़ी सफलता माना जा रहा है, जिसका उद्देश्य 2026 तक नक्सलवाद को समाप्त करना है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम नक्सल आंदोलन में आंतरिक फूट और समर्थन की कमी को दर्शाता है और शांति व विकास की दिशा में महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हो सकता है।

गढ़चिरौली में हुए इस ऐतिहासिक आत्मसमर्पण ने महाराष्ट्र में नक्सलवाद के खिलाफ चल रही लड़ाई में एक महत्वपूर्ण मोड़ लिया है और राज्य सरकार की शांति एवं विकास की दिशा में उठाए गए कदमों की सफलता को दर्शाता है।

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