सीमा पर बढ़ा तनाव: पाकिस्तान ने अफगानिस्तान में किए हवाई हमले, दर्जनों की जान गई

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पाकिस्तान और अफगानिस्तान की सीमा पर एक बार फिर हिंसा भड़क उठी है। मंगलवार रात से बुधवार तक दोनों देशों के बीच हुए सैन्य टकराव ने पूरे क्षेत्र में तनाव बढ़ा दिया। चमन-स्पिन बोल्डक इलाके में अचानक शुरू हुई गोलीबारी और तोपखाने की झड़पों के बाद पाकिस्तान की सेना ने अफगानिस्तान के कंधार प्रांत और आसपास के इलाकों में हवाई हमले किए। दोनों देशों के बीच हुए इस संघर्ष में कुल मिलाकर लगभग 50 लोगों के मारे जाने की पुष्टि की गई है, जबकि कई दर्जन लोग घायल हुए हैं। मरने वालों में सैनिकों के साथ-साथ आम नागरिक भी शामिल बताए जा रहे हैं। हालांकि, पाकिस्तान और अफगानिस्तान दोनों के दावों में हताहतों की संख्या को लेकर बड़ा अंतर है।

पाकिस्तानी सेना का कहना है कि यह कार्रवाई “सीमा पार से हुए आतंकी हमलों” के जवाब में की गई। पाकिस्तान ने आरोप लगाया कि अफगानिस्तान की धरती से उसके ठिकानों पर बार-बार हमले हो रहे थे और ये हवाई हमले उसी के प्रतिशोध में किए गए हैं। दूसरी ओर, अफगान तालिबान प्रशासन ने पाकिस्तान पर अपने वायुसैनिक क्षेत्र का उल्लंघन करने और नागरिकों पर बमबारी करने का आरोप लगाया है। अफगान प्रशासन ने कहा कि इन हमलों में कई निर्दोष नागरिकों की मौत हुई है, जबकि दर्जनों घायल हैं। वहीं, अफगान सूत्रों ने दावा किया कि सीमा पर जवाबी कार्रवाई में उन्होंने पाकिस्तानी सेना को भारी नुकसान पहुंचाया और 50 से अधिक पाक सैनिक मारे गए, हालांकि इस दावे की स्वतंत्र पुष्टि अब तक नहीं हो सकी है।

इस संघर्ष के चलते सीमावर्ती इलाकों में भय और अफरा-तफरी का माहौल है। दोनों देशों के बीच चमन बॉर्डर और अन्य पारगमन बिंदुओं को बंद कर दिया गया है। सैकड़ों नागरिक अपने घर छोड़कर सुरक्षित स्थानों की ओर पलायन कर रहे हैं। स्थानीय अस्पतालों में घायल लोगों की लंबी कतारें लगी हैं, जबकि राहत एजेंसियों ने मौके पर आपात सहायता पहुँचाना शुरू कर दिया है। रिपोर्टों के अनुसार, अफगानिस्तान के कुछ सीमावर्ती जिलों में कई मकान, दुकानें और बुनियादी ढांचे के हिस्से नष्ट हो गए हैं। पाकिस्तानी मीडिया ने भी सीमापार क्षेत्रों में राहत व पुनर्वास के प्रयासों की पुष्टि की है।

तनाव के बढ़ने के बाद क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कूटनीतिक प्रयास तेज़ हो गए हैं। पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच स्थिति को नियंत्रित करने के लिए कतर और सऊदी अरब जैसे देशों ने मध्यस्थता की भूमिका निभानी शुरू की है। इसी बीच, दोनों पक्षों ने 48 घंटे के लिए अस्थायी युद्धविराम पर सहमति जताई है ताकि बातचीत का रास्ता खोला जा सके और स्थिति को शांत किया जा सके। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर यह युद्धविराम टिक पाया, तो आगे स्थायी समाधान के लिए कूटनीतिक वार्ता का रास्ता खुल सकता है। हालांकि, इससे पहले भी ऐसे युद्धविराम लंबे समय तक नहीं टिक सके हैं।

इस पूरी घटना के पीछे वर्षों से चली आ रही एक पुरानी समस्या छिपी है। पाकिस्तान लगातार यह आरोप लगाता रहा है कि अफगानिस्तान की धरती पर तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) जैसे आतंकी संगठन सुरक्षित पनाहगाहें बना रहे हैं और वहीं से पाकिस्तान पर हमले की साजिश रचते हैं। अफगान तालिबान इन आरोपों को बार-बार खारिज करता आया है और कहता है कि पाकिस्तान अपनी आंतरिक समस्याओं के लिए दूसरों को दोषी ठहराता है। वहीं, अफगान पक्ष पाकिस्तान पर अपनी सीमाओं का उल्लंघन करने और सिविल आबादी को निशाना बनाने का आरोप लगाता रहा है। इसी कारण दोनों देशों के बीच लंबे समय से अविश्वास का माहौल बना हुआ है।

क्षेत्रीय विशेषज्ञों का मानना है कि यह संघर्ष केवल दो देशों के बीच का नहीं है, बल्कि इसका असर पूरे दक्षिण एशिया पर पड़ सकता है। भारत, चीन, ईरान और मध्य एशियाई देशों सहित कई पड़ोसी देशों के लिए यह स्थिति चिंता का विषय बन चुकी है। सीमा पार व्यापार, ऊर्जा परियोजनाएँ और आतंकवाद विरोधी अभियानों पर इसका गहरा असर हो सकता है। संयुक्त राष्ट्र और अन्य अंतरराष्ट्रीय संगठनों ने इस हिंसा पर चिंता जताई है और दोनों पक्षों से संयम बरतने, नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने तथा संवाद को प्राथमिकता देने की अपील की है।

वर्तमान स्थिति में मानवीय संकट की आशंका भी बढ़ गई है। सीमावर्ती इलाकों में रहने वाले लोग लगातार पलायन कर रहे हैं। शरणार्थियों की संख्या में तेजी से वृद्धि हो रही है, जबकि राहत एजेंसियां सीमित संसाधनों में मदद पहुँचाने की कोशिश कर रही हैं। सर्द मौसम और राहत सुविधाओं की कमी के कारण प्रभावित इलाकों में हालात और भी बिगड़ सकते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि यदि तनाव नहीं घटा तो यह एक दीर्घकालिक मानवीय आपदा का रूप ले सकता है।

अब नजर इस बात पर है कि पाकिस्तान और अफगानिस्तान 48 घंटे के इस युद्धविराम का कितना पालन करते हैं और क्या दोनों देश वार्ता के रास्ते पर लौट पाते हैं। फिलहाल दोनों देशों की सेनाएं सतर्क हैं, सीमाओं पर भारी तैनाती जारी है और क्षेत्र में अस्थिरता बनी हुई है। विश्लेषकों का मानना है कि अगर संवाद और विश्वास निर्माण की दिशा में ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो सीमापार हमलों और जवाबी कार्रवाइयों का यह चक्र फिर से हिंसा में बदल सकता है।

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