दुर्गापुर केस में ममता बनर्जी के बयान से मचा बवाल, विपक्ष ने लगाया ‘विक्टिम शेमिंग’ का आरोप

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पश्चिम बंगाल के दुर्गापुर में हुई एक 23 वर्षीय मेडिकल छात्रा के साथ कथित गैंगरेप की घटना ने राज्य की राजनीति को हिला दिया है। छात्रा ने 11 अक्तूबर को दर्ज अपनी शिकायत में बताया कि पाँच अज्ञात लोगों ने उसके साथ जबरदस्ती की, जबकि उसके पिता ने एक अलग शिकायत में छात्रा के सहपाठी और उसके दोस्तों पर हमला और लूटपाट का आरोप लगाया। दोनों शिकायतों में विरोधाभास के चलते पुलिस की जांच कई पहलुओं पर केंद्रित हो गई है। अधिकारियों के अनुसार, कुछ संदिग्धों को हिरासत में लेकर पूछताछ की जा रही है और पीड़िता के न्यायिक बयान का इंतजार किया जा रहा है।

मामले में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के बयान ने विवाद को और भड़का दिया। उन्होंने कहा कि “जब घटना रात करीब 12:30 बजे हुई, तो छात्रा उस समय बाहर क्यों थी?” साथ ही उन्होंने निजी कॉलेजों से छात्रों की सुरक्षा के लिए सख्त नियम बनाने की बात कही। विपक्ष और महिला संगठनों ने ममता के इस बयान को “विक्टिम शेमिंग” करार देते हुए कड़ी आलोचना की। आलोचनाओं के बाद मुख्यमंत्री ने सफाई दी कि उनके बयान को संदर्भ से बाहर पेश किया गया और उनका मकसद केवल सुरक्षा पर जोर देना था।

इधर, भाजपा ने ममता बनर्जी और राज्य सरकार पर तीखा हमला बोला है। पार्टी नेताओं ने कहा कि मुख्यमंत्री ने झूठे बयान दिए और घटना के समय को लेकर गलत जानकारी फैलाई। भाजपा ने यह भी आरोप लगाया कि सरकार मामले को राजनीतिक रूप से दबाने की कोशिश कर रही है। भाजपा ने पीड़िता के लिए त्वरित न्याय, दोषियों की गिरफ्तारी और फास्ट-ट्रैक कोर्ट में सुनवाई की मांग की है। वहीं, राज्यपाल और वरिष्ठ अधिकारी पीड़िता के परिवार से अस्पताल में मुलाकात कर चुके हैं और निष्पक्ष जांच का भरोसा दिला चुके हैं।

त्रिणमूल कांग्रेस (TMC) ने विपक्ष पर मामले को राजनीतिक रंग देने का आरोप लगाया है। पार्टी का कहना है कि सरकार “जीरो टॉलरेंस” की नीति पर काम कर रही है और दोषियों को किसी भी सूरत में बख्शा नहीं जाएगा। राष्ट्रीय महिला आयोग (NCW) और कई सामाजिक संगठनों ने राज्य सरकार से मामले की पारदर्शी, निष्पक्ष और संवेदनशील जांच की मांग की है।

फिलहाल पुलिस की फॉरेंसिक रिपोर्ट और पीड़िता का बयान जांच की दिशा तय करेगा। पूरे मामले ने पश्चिम बंगाल में महिलाओं की सुरक्षा, कानून-व्यवस्था और राजनीतिक जवाबदेही पर एक नई बहस छेड़ दी है। जनता और सामाजिक संगठनों की नजर अब इस बात पर है कि क्या इस संवेदनशील मामले में जल्द और निष्पक्ष न्याय मिल पाता है या यह सियासी विवादों में उलझकर रह जाता है।

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