सुप्रीम कोर्ट ने 13 अक्टूबर 2025 को कांग्रेस नेता राहुल गांधी द्वारा ‘वोट चोरी’ के आरोपों की जांच के लिए विशेष जांच दल (SIT) गठित करने की मांग वाली जनहित याचिका को खारिज कर दिया। कोर्ट ने याचिकाकर्ता को चुनाव आयोग से संपर्क करने की सलाह दी। न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमलय बागची की पीठ ने याचिकाकर्ता के वकील से कहा कि याचिका को जनहित याचिका के रूप में स्वीकार नहीं किया जा सकता। इस याचिका को कांग्रेस सदस्य और वकील रोहित पांडे ने दायर किया था, जिसमें आरोप लगाया गया था कि बेंगलुरु सेंट्रल संसदीय क्षेत्र में 2024 के लोकसभा चुनावों के दौरान मतदाता सूची में 40,000 से अधिक अवैध मतदाता और 10,000 से अधिक डुप्लिकेट प्रविष्टियाँ पाई गईं। उदाहरण के तौर पर, एक ही पते पर दर्ज 80 मतदाताओं और विभिन्न राज्यों में एक ही व्यक्ति के कई EPIC नंबरों का उल्लेख किया गया था।
राहुल गांधी ने इन आरोपों को लेकर चुनाव आयोग पर भाजपा के साथ मिलीभगत का आरोप लगाया था और दावा किया था कि महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में भी इसी तरह की धांधली हुई है। हालांकि, चुनाव आयोग ने इन आरोपों को “बेसलेस” बताते हुए खारिज कर दिया था और कहा था कि इस तरह की शिकायतें लिखित रूप में आयोग को प्रस्तुत करनी होंगी। इससे पहले, 10 सितंबर 2025 को मद्रास हाई कोर्ट ने भी राहुल गांधी की ‘वोट चोरी’ आरोपों को लेकर दायर जनहित याचिका खारिज कर दी थी और याचिकाकर्ता पर 1 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया था।
इन आरोपों के बाद विपक्षी दलों ने “वोट चोर, गद्दी छोड़” जैसे नारे लगाते हुए भाजपा और चुनाव आयोग के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किए और आरोप लगाया कि चुनावी प्रक्रिया में धांधली की जा रही है और लोकतंत्र की हत्या हो रही है। सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय से यह स्पष्ट होता है कि यदि किसी के पास ठोस प्रमाण हैं तो उन्हें चुनाव आयोग के समक्ष प्रस्तुत करना चाहिए। कोर्ट ने याचिकाकर्ता को वैकल्पिक कानूनी उपायों का पालन करने की सलाह दी है और अब यह देखने वाली बात होगी कि विपक्षी दल इस मुद्दे को चुनाव आयोग के समक्ष प्रस्तुत करते हैं या नहीं और आयोग इस पर कोई कार्रवाई करता है या नहीं।













