केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने छत्तीसगढ़ के बस्तर दौरे के दौरान नक्सलियों को दो टूक चेतावनी दी है। उन्होंने साफ कहा कि सरकार किसी भी हालत में माओवादियों से बातचीत नहीं करेगी जब तक वे पूरी तरह हथियार नहीं डाल देते। शाह ने यह भी ऐलान किया कि 31 मार्च 2026 तक सशस्त्र नक्सलवाद को पूरी तरह समाप्त करने का लक्ष्य तय किया गया है और इसके लिए सरकार हर स्तर पर निर्णायक कार्रवाई करेगी।
जगदलपुर में आयोजित बस्तर दशहरा लोकोत्सव और स्वदेशी मेला में शामिल होकर शाह ने स्थानीय परंपराओं को नमन किया और माता दंतेश्वरी के दर्शन किए। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि केंद्र और राज्य सरकारें मिलकर नक्सल प्रभावित जिलों में विकास की गति तेज कर रही हैं। सड़क, शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार जैसी बुनियादी सुविधाओं को प्राथमिकता दी जा रही है, ताकि वहां के लोग मुख्यधारा से जुड़ सकें।
अमित शाह ने नक्सलियों के लिए सरकार की आत्मसमर्पण और पुनर्वास नीति का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि जो लोग हिंसा छोड़कर समाज में लौटना चाहते हैं, उनके लिए नीति बेहद आकर्षक है और इसमें उन्हें सुरक्षित भविष्य देने के प्रावधान हैं। लेकिन जो लोग हथियारबंद लड़ाई जारी रखेंगे, उनके खिलाफ सुरक्षा बल कठोर कार्रवाई करेंगे।
गृहमंत्री ने यह भी बताया कि 2014 की तुलना में आज नक्सल प्रभावित जिलों की संख्या काफी घट चुकी है। उन्होंने सवाल उठाया कि आखिर किन कारणों और किन तत्वों की वजह से नक्सलवाद इस क्षेत्र में फैला और दशकों तक बना रहा। शाह ने स्पष्ट किया कि यह केवल सुरक्षा का ही नहीं, बल्कि विकास और सामाजिक न्याय का भी मुद्दा है।
स्थानीय प्रशासन और सुरक्षा एजेंसियों ने शाह के दौरे को अहम बताया। उनका कहना है कि केंद्रीय नेतृत्व के सीधे हस्तक्षेप से क्षेत्र में विकास योजनाएँ और सुरक्षा अभियानों दोनों को और बल मिलेगा। सरकार अब एक साथ दो मोर्चों पर काम कर रही है — एक ओर सख्त सुरक्षा अभियान और दूसरी ओर तेजी से विकास कार्य।
अमित शाह का संदेश बेहद स्पष्ट है: नक्सलियों को हर हाल में हथियार डालकर मुख्यधारा में लौटना होगा, क्योंकि सरकार और जनता अब हिंसा को किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं करेगी।
