रांची , 4 अगस्त 2025 – झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के संरक्षक शिबू सोरेन का सोमवारची सुबह दिल्ली के एक अस्पताल में निधन हो गया। वे 81 वर्ष के थे और लंबे समय से बीमार चल रहे थे। उनके निधन की खबर सामने आते ही पूरे राज्य में शोक की लहर दौड़ गई है।
स्वास्थ्य समस्याओं के चलते निधन
शिबू सोरेन पिछले कुछ समय से दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल में भर्ती थे। वे किडनी संबंधित समस्याओं, डायबिटीज और ब्रेन स्ट्रोक से पीड़ित थे। रविवार रात उनकी स्थिति बेहद नाजुक हो गई थी और सोमवार सुबह उन्होंने अंतिम सांस ली।
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का भावुक संदेश
मुख्यमंत्री और उनके पुत्र हेमंत सोरेन ने सोशल मीडिया पर लिखा:
“आज मैं शून्य हो गया हूं। आदरणीय दिशोम गुरुजी हम सबको छोड़कर चले गए। आपने हमेशा झारखंड के लोगों को दिशा दिखाई, आज भी आपकी स्मृति हमें आगे बढ़ने की प्रेरणा देती है।”
अंतिम दर्शन और अंतिम संस्कार की रूपरेखा
शिबू सोरेन का पार्थिव शरीर सोमवार शाम को रांची लाया गया।सबसे पहले उनके मोरहाबादी स्थित आवास पर जनता के लिए अंतिम दर्शन के लिए रखा गया।इसके बाद झामुमो कार्यालय और विधानसभा में भी उन्हें श्रद्धांजलि दी गई।उनका अंतिम संस्कार मंगलवार, 5 अगस्त को दोपहर 3 बजे, रामगढ़ जिले के पैतृक गांव नेमरा में राजकीय सम्मान के साथ किया गया।
तीन दिन का राजकीय शोक घोषित
झारखंड सरकार ने 4 से 6 अगस्त तक तीन दिनों का राजकीय शोक घोषित किया है:
4 और 5 अगस्त को सभी सरकारी कार्यालय बंद रहेंगे।
झंडा आधा झुका रहेगा और कोई सरकारी समारोह आयोजित नहीं होगा।
राज्यभर में सांस्कृतिक व राजनीतिक कार्यक्रमों को स्थगित किया गया है।
देशभर से श्रद्धांजलि
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, राहुल गांधी, राजनाथ सिंह, नीतीश कुमार, लालू प्रसाद यादव समेत तमाम नेताओं ने उनके निधन पर शोक व्यक्त किया है। प्रधानमंत्री मोदी दिल्ली के अस्पताल पहुंचे और परिवार से मिलकर सांत्वना दी।
शिबू सोरेन: एक राजनीतिक जीवन
विशेष विवरण जानकारी
जन्म 11 जनवरी 1944, नेमरा गांव, झारखंड
पार्टी झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM)
मुख्यमंत्री कार्यकाल 3 बार (2005, 2008–09, 2009–10)
लोकसभा सदस्य 8 बार निर्वाचित
उपनाम दिशोम गुरु (आदिवासी समाज के लिए सम्मान सूचक नाम)
शिबू सोरेन ने अपने जीवन में आदिवासी अधिकारों की रक्षा, अलग राज्य की मांग और सामाजिक न्याय के लिए कई जनांदोलन किए। उनके प्रयासों से झारखंड को 2000 में बिहार से अलग कर राज्य का दर्जा मिला।झारखंड की पहचान से जुड़ी एक ऐतिहासिक आवाजशिबू सोरेन का जाना सिर्फ एक नेता की मौत नहीं है, यह झारखंड की सामाजिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक चेतना से जुड़ी एक ऐतिहासिक आवाज का मौन हो जाना है। दिशोम गुरु की स्मृति आने वाले वर्षों तक झारखंड की राजनीति और समाज में जीवित रहेगी।
