भारत-यूएस आर्थिक साझेदारी को नई दिशा, द्विपक्षीय व्यापार वार्ता शुरू होने को तैयार

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भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका के बीच प्रस्तावित द्विपक्षीय व्यापार समझौते (Bilateral Trade Agreement) को लेकर तैयारियाँ तेज हो गई हैं। दोनों देशों के बीच रणनीतिक व आर्थिक साझेदारी को नई दिशा देने के उद्देश्य से जल्द ही दिल्ली में महत्वपूर्ण व्यापारिक वार्ता होने जा रही है। अमेरिकी प्रशासन का एक उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल आने वाले दिनों में भारत पहुंचेगा, जिसके साथ तीन दिवसीय बातचीत होगी। यह वार्ता 10 दिसंबर से 12 दिसंबर के बीच प्रस्तावित है और माना जा रहा है कि इस दौर में समझौते के प्रथम चरण को अंतिम रूप देने की दिशा में ठोस प्रगति हो सकती है। यह मुलाकात ऐसे समय हो रही है जब वैश्विक आर्थिक परिस्थितियाँ तेजी से बदल रही हैं और दोनों देशों पर अपने साझेदारों के साथ नए व्यापारिक समीकरण विकसित करने का दबाव बढ़ रहा है।

अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व डिप्टी यूएस ट्रेड रिप्रेजेंटेटिव रिक स्विट्ज़र करने वाले हैं, जो पहले भी भारत के साथ प्रारंभिक चर्चाओं में शामिल रहे हैं। इस बार उनका फोकस पहले चरण के फ्रेमवर्क को पक्का करने पर होगा, जिसमें टैरिफ संरचना, बाजार पहुँच (Market Access), सेवाओं का विस्तार, और व्यापार से जुड़े नियमों पर स्पष्ट सहमति बनाना शामिल है। अधिकारियों के अनुसार यह दौर हालांकि औपचारिक ‘राउंड’ की तरह नहीं होगा, लेकिन यह वार्ता आगे होने वाले विस्तृत और व्यावहारिक समझौते की दिशा तय करेगी। इसमें मुख्य रूप से उन मुद्दों पर चर्चा होगी जो पिछले दौर में अधूरे रह गए थे या जिनके लिए तकनीकी स्तर पर सहमति बनाने की आवश्यकता है।

भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक संतुलन हमेशा से चर्चा का विषय रहा है। हाल के महीनों में कुछ भारतीय वस्तुओं पर अमेरिका द्वारा लगाए गए अतिरिक्त शुल्कों ने भारतीय निर्यातकों की चिंताएँ बढ़ाई थीं। भारत इस दौर की बातचीत में इन शुल्कों को कम करने या हटाने का मुद्दा प्रमुखता से उठाने वाला है। वहीं अमेरिका का उद्देश्य उन क्षेत्रों में व्यापक बाज़ार पहुँच सुनिश्चित करना है जिनमें वह लंबे समय से व्यापारिक प्रतिबंधों और शुल्कों को कम करने की मांग कर रहा है। इस संदर्भ में भारत की प्राथमिकता घरेलू उद्योगों की सुरक्षा के साथ-साथ निर्यात के अवसरों को मजबूत करना है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि इस बैठक में टैरिफ और बाजार पहुँच संबंधी कुछ मुद्दों पर ढांचा तैयार हो जाता है, तो दोनों देशों के बीच आगे की वार्ताएँ तेज और अधिक स्पष्ट हो सकेंगी।

राजनीतिक और रणनीतिक संदर्भ भी इस वार्ता को महत्वपूर्ण बनाते हैं। भारत ने हाल के वर्षों में बहु-आयामी कूटनीतिक नीति अपनाई है, जिसमें ऊर्जा, रक्षा और निवेश जैसे विभिन्न क्षेत्रों में वैश्विक साझेदारों के साथ संतुलित संबंध कायम करना शामिल है। ऐसे में अमेरिका के साथ होने वाली व्यापार वार्ता सिर्फ आर्थिक उद्देश्यों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह दोनों देशों के रणनीतिक संबंधों को भी प्रभावित करती है। अमेरिका चाहता है कि भारत उसके साथ व्यापार और तकनीकी सहयोग को व्यापक बनाए, जबकि भारत बहु-सामरिक नीति के तहत सभी देशों के साथ अपने हितों का संतुलन बनाए रखने पर जोर दे रहा है।

इस तीन दिवसीय बातचीत से व्यापारिक समुदाय और नीति-निर्माताओं को काफी उम्मीदें हैं। निर्यातक और उद्योग संगठन इस वार्ता पर नजर बनाए हुए हैं, क्योंकि यह भारत-अमेरिका आर्थिक संबंधों को नई गति देने वाला साबित हो सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि यदि दोनों पक्ष नियमों में सरलता, पारदर्शिता और विवाद निवारण जैसे मुद्दों पर ठोस सहमति बना लेते हैं, तो इससे न केवल व्यापार बढ़ेगा, बल्कि निवेश के नए अवसर भी खुल सकते हैं। वहीं, यदि बातचीत में संवेदनशील मुद्दों पर लचीला दृष्टिकोण अपनाया जाता है, तो आने वाले महीनों में इस समझौते का पहला चरण पूरा होने की पूरी संभावना है।

कुल मिलाकर, दिल्ली में होने वाली यह वार्ता भारत-अमेरिका व्यापार संबंधों के भविष्य को गढ़ने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली है। दोनों देश न केवल आर्थिक दृष्टि से लाभ उठाना चाहते हैं, बल्कि वे वैश्विक स्तर पर अपने प्रभाव को बढ़ाने के लिए भी आपसी सहयोग को मजबूत करना चाहते हैं। आगामी दौर में लिए जाने वाले निर्णय, न केवल वर्तमान व्यापारिक परिस्थितियों को प्रभावित करेंगे, बल्कि आने वाले वर्षों में दोनों देशों की आर्थिक दिशा को भी निर्धारित करेंगे।

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