रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह कल लद्दाख के लेह क्षेत्र में रणनीतिक रूप से अत्यंत महत्वपूर्ण श्योक टनल का औपचारिक उद्घाटन करेंगे। कार्यक्रम सुबह निर्धारित समय पर आयोजित किया जाएगा, जिसमें लद्दाख के उप-राज्यपाल, सेना और BRO के वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित रहेंगे। यह सुरंग सामरिक दृष्टि से उतनी ही आवश्यक मानी जा रही है, जितनी नागरिक कनेक्टिविटी के लिए। लद्दाख के दुर्गम इलाकों में वर्षभर सुचारू यातायात सुनिश्चित करने के उद्देश्य से तैयार की गई यह टनल खालसर–आघम–श्योक मार्ग का हिस्सा है, जिसे बॉर्डर रोड्स ऑर्गनाइजेशन ने अपने विशेष प्रोजेक्ट ‘हिमांक’ के तहत विकसित किया है। इस सुरंग के बनने से श्योक नदी के आसपास के उन जोखिम वाले हिस्सों में स्थायी समाधान मिलेगा, जहाँ हर वर्ष भारी बर्फबारी, भूस्खलन और संकरे पहाड़ी मोड़ों के कारण आवाजाही प्रभावित होती रही है।
श्योक टनल अपेक्षाकृत छोटी लेकिन अत्यंत महत्त्वपूर्ण संरचना मानी जा रही है। यह कट-एंड-कवर तकनीक से निर्मित है, और इसे इस तरह डिज़ाइन किया गया है कि प्रतिकूल मौसम की परिस्थितियों में भी यातायात बाधित न हो। यह निर्माण उस मार्ग को अधिक सुरक्षित और भरोसेमंद बनाता है, जो सेना की अग्रिम चौकियों तक पहुंचने का मुख्य साधन है। इस क्षेत्र में समयबद्ध और तेज़ रसद-आपूर्ति हमेशा से चुनौती रही है, इसलिए इस सुरंग को रणनीतिक आवश्यकता के तौर पर देखा जा रहा है। इसके साथ ही यह टनल नुब्रा घाटी और पैंगोंग क्षेत्र के बीच बेहतर सड़क संपर्क प्रदान करेगी, जिससे पर्यटन, व्यापार और स्थानीय आवागमन को नई गति मिलने की उम्मीद है।
लद्दाख में BRO लगातार ऐसी कई परियोजनाओं पर काम कर रहा है, जो सीमावर्ती इलाकों में हर मौसम में सक्षम सड़क नेटवर्क उपलब्ध कराने पर केंद्रित हैं। श्योक टनल इन्हीं प्रयासों की एक और महत्त्वपूर्ण कड़ी है, जो भारत की सामरिक तैयारी को मजबूत करने के साथ-साथ स्थानीय समुदायों के लिए भी सुविधाओं का विस्तार करेगी। यह परियोजना क्षेत्र में विकास, सुरक्षा और कनेक्टिविटी की आवश्यकताओं को संतुलित करती है। उद्घाटन समारोह के दौरान BRO अधिकारियों और स्थानीय प्रशासन की उपस्थिति इस बात का संकेत है कि इस सुरंग का लाभ न केवल रक्षा मोर्चे पर, बल्कि क्षेत्रीय विकास के लिए भी व्यापक रूप से महसूस किया जाएगा।












