डोनाल्ड ट्रंप ने उठाया नोबेल का मुद्दा—भारत-पाक तनाव कम कराने पर खुद को बताया योग्य

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अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर यह दावा दोहराया है कि उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव को कम कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। ट्रंप ने कहा कि उनके प्रयासों के कारण दोनों देशों के बीच संभावित बड़ा सैन्य संघर्ष टल गया, इसलिए उन्हें नोबेल शांति पुरस्कार का हकदार माना जाना चाहिए। उन्होंने यह भी जोड़ा कि उन्होंने दुनिया के कई हिस्सों में संघर्षों को शांत कराया, मगर उन्हें वह सम्मान नहीं मिला जिसके वे पात्र थे।

ट्रंप ने अपने बयान में यह भी कहा कि भारत और पाकिस्तान जैसे दो परमाणु-सशस्त्र देशों के बीच तनाव को रोकना आसान नहीं था, लेकिन अमेरिकी प्रशासन के प्रयासों से हालात बिगड़ने से बच गए। यह पहला मौका नहीं है जब ट्रंप ने इस तरह का दावा किया है; इससे पहले भी कई बार वे यह बात सार्वजनिक मंचों पर कह चुके हैं। उनका कहना है कि अगर वैश्विक शांति प्रयासों का मूल्यांकन निष्पक्षता से किया जाए, तो उन्हें कई नोबेल पुरस्कार मिल सकते हैं।

ट्रंप के इस दावे ने अंतरराष्ट्रीय राजनीतिक हलचलों को फिर गति दे दी है। कुछ विश्लेषक मानते हैं कि ट्रंप अपने कूटनीतिक कार्यकाल को चुनावी और राजनीतिक संदर्भों में मजबूत दिखाने की कोशिश कर रहे हैं। दूसरी ओर, कई विशेषज्ञों का मानना है कि भारत-पाकिस्तान तनाव में कमी कई स्तरों पर हुई कूटनीतिक कोशिशों का परिणाम थी, जिसमें स्थानीय नेतृत्व और अंतरराष्ट्रीय समुदाय दोनों शामिल थे।

नोबेल शांति पुरस्कार को लेकर ट्रंप लगातार यह सवाल उठाते रहे हैं कि अमेरिकी प्रशासन की उपलब्धियों को उतनी मान्यता नहीं दी गई, जितनी दी जानी चाहिए। वहीं, पुरस्कार को लेकर अंतिम निर्णय नॉर्वे की नोबेल समिति करती है, जो स्वतंत्र प्रक्रिया के तहत नामांकन और चयन करती है। ट्रंप के समर्थक अक्सर उनके मध्यपूर्व समझौतों और कोरियाई प्रायद्वीप में तनाव कम करने की कोशिशों को भी उनके पक्ष में गिनते हैं।

ट्रंप के इस ताज़ा बयान ने फिर से चर्चा छेड़ दी है कि क्या व्यक्तिगत दावों या राजनीतिक बयानबाज़ी के आधार पर किसी नेता को शांति पुरस्कार मिल सकता है, या इसके लिए व्यापक और स्थायी परिणाम जरूरी होते हैं। हालांकि, ट्रंप का यह दावा इस बात का संकेत जरूर देता है कि वे अपनी अंतरराष्ट्रीय नीतिगत छवि को फिर से मजबूत करने की कोशिश में हैं और इसे आने वाले चुनावों के संदर्भ में भी देखा जा रहा है।

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