FTA की दौड़ में भारत: वैश्विक बाजार में प्रवेश के लिए अमेरिका-ईयू समेत कई देशों से बातचीत

👇समाचार सुनने के लिए यहां क्लिक करें

भारत अपनी वैश्विक व्यापार कूटनीति को तेज गति देने में लगा हुआ है और वर्तमान में लगभग 50 देशों एवं समूहों के साथ मुक्त व्यापार समझौते (FTA/CEPA) पर सक्रिय वार्ता कर रहा है। इनमें प्रमुख रूप से अमेरिका और यूरोपीय संघ (ईयू) शामिल हैं। वाणिज्य और उद्योग मंत्री पियूष गोयल ने बताया कि भारत न केवल पारंपरिक बाजारों, बल्कि एशिया, मध्य पूर्व और लैटिन अमेरिका जैसी नई अर्थव्यवस्थाओं के साथ भी व्यापारिक साझेदारी को मजबूत करना चाहता है। वर्तमान में अमेरिका, ईयू, ओमान, न्यूजीलैंड, चिली और पेरू के साथ बातचीत जारी है, जबकि कुछ FTAs पहले ही लागू हो चुके हैं, जैसे India–EFTA Free Trade Agreement।

ईयू के साथ समझौता विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। बातचीत के 20 अध्यायों में से लगभग आधे पूरे हो चुके हैं और कुछ अध्यायों पर सैद्धांतिक सहमति बन चुकी है। हालांकि, स्टील, ऑटोमोबाइल और कृषि जैसे संवेदनशील मुद्दों पर अभी भी असहमति बनी हुई है। अमेरिकी पक्ष के साथ बातचीत में टैरिफ और कच्चे माल से जुड़े मुद्दे चर्चा का विषय बने हुए हैं। सरकार को उम्मीद है कि वर्ष 2025 के अंत तक अमेरिका और ईयू के साथ प्रमुख FTAs को अंतिम रूप दिया जा सकेगा।

भारत सरकार का उद्देश्य इन समझौतों के माध्यम से भारतीय उद्योगों के लिए नए निर्यात अवसर उत्पन्न करना, विदेशी निवेश बढ़ाना और वैश्विक प्रतिस्पर्धा में अपनी स्थिति मजबूत करना है। इसके लिए घरेलू स्तर पर भी सुधार किए गए हैं, जिसमें लगभग 42,000 compliances हटाना और 1,500 से अधिक पुराने कानूनों को रद्द करना शामिल है, जिससे व्यापार करने की प्रक्रिया सरल और निवेश के अनुकूल बनी।

इन FTAs के सफल क्रियान्वयन से भारतीय कृषि, सेवाओं, टेक्सटाइल, विनिर्माण और टेक्नोलॉजी क्षेत्रों को वैश्विक बाजारों तक पहुंचने का अवसर मिलेगा। यह कदम न केवल भारत को एक भरोसेमंद व्यापार भागीदार के रूप में स्थापित करेगा, बल्कि लंबे समय में देश की औद्योगिक प्रतिस्पर्धा और निर्यात आधारित विकास को भी मजबूत करेगा। हालांकि, सरकार को यह सुनिश्चित करना होगा कि घरेलू उद्योग, विशेषकर छोटे और मझोले कारोबार, नई प्रतिस्पर्धा और खुले बाजार की चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार रहें।

इस प्रकार, भारत की वैश्विक व्यापार कूटनीति में यह सक्रियता न सिर्फ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उसकी पकड़ मजबूत करेगी, बल्कि घरेलू आर्थिक विकास और निर्यात क्षमता को भी नई दिशा देने में मददगार साबित होगी।

Leave a Comment

और पढ़ें