शंभू से उठी किसानों की आवाज, दिल्ली की राह में कड़े सुरक्षा इंतजाम

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आज शंभू बॉर्डर से दिल्ली की ओर कूच शुरू कर दिया है। सुबह से ही राजपुरा, पटियाला और आसपास के क्षेत्रों से किसानों के जत्थे ट्रैक्टर-ट्रॉलियों, बसों और निजी वाहनों के साथ शंभू बॉर्डर पर पहुँचने लगे, जिससे इलाके में भारी भीड़ और हलचल देखी गई। इस मार्च का प्रमुख उद्देश्य उन सिख बंदियों की रिहाई से जुड़ा है, जिन्हें किसान नेता ‘सजा पूरी हो जाने के बावजूद जेल में रखे जाने’ का आरोप लगाते हैं। इसके साथ ही किसान 2015 के कुछ मामलों में न्यायिक कार्रवाई की मांग भी उठा रहे हैं। संगठनों ने स्पष्ट किया है कि उनकी सभी मांगें शांतिपूर्ण तरीके से दिल्ली तक पहुँचाकर केंद्र सरकार तक पहुंचाई जाएँगी।

दूसरी ओर, प्रशासन ने एहतियात के तौर पर शंभू बैरियर तथा करीब के हाईवे मार्गों पर सख्त सुरक्षा व्यवस्था लागू कर दी है। कुछ रूटों पर बैरिकेडिंग की गई है, ताकि भीड़ के दबाव को नियंत्रित किया जा सके और किसी भी आपात स्थिति से निपटा जा सके। ट्रैफिक पुलिस ने अंबाला-दिल्ली और राजपुरा-चंडीगढ़ मार्गों पर वैकल्पिक रूट जारी किए हैं, जिससे आम यात्रियों को परेशानी कम हो। हालांकि कई स्थानों पर वाहनों की लंबी कतारें बनती दिखीं और लोगों ने सोशल मीडिया पर यातायात बाधित होने की शिकायतें भी साझा कीं।

शंभू बॉर्डर पिछले कई महीनों से किसान आंदोलनों का केंद्र रहा है, जहां पहले भी बैरिकेडिंग, टकराव और लंबे समय तक चलने वाले कैंपों की वजह से काफी तनावपूर्ण हालात बने थे। यही कारण है कि इस बार भी पुलिस और प्रशासन अतिरिक्त सतर्कता बरत रहा है। स्थानीय बाजारों और दुकानदारों ने सुबह से ही संभावित भीड़ और रूट परिवर्तन को देखते हुए अपनी व्यवस्था बदली है। कई नागरिक शांतिपूर्ण आंदोलन के पक्ष में नजर आए, लेकिन कुछ लोगों ने सुरक्षा और ट्रैफिक अव्यवस्था को लेकर चिंता भी व्यक्त की।

फिलहाल किसान संगठनों और प्रशासन के बीच संवाद का रास्ता खुला रहने की संभावना है, लेकिन दोनों पक्ष अपनी-अपनी रणनीति और रुख पर कायम दिखाई दे रहे हैं। स्थिति आगे कैसे बदलेगी, यह आने वाले घंटों में होने वाले घटनाक्रम, बातचीत और सुरक्षा प्रबंध पर निर्भर करेगा। किसानों के दिल्ली कूच से राजधानी के प्रवेश मार्गों और सीमावर्ती जिलों में माहौल पूरी तरह सतर्क है और प्रशासन हर पल हालात पर नजर बनाए हुए है।

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