अमेरिका-दक्षिण अफ्रीका तनातनी: ट्रंप ने G20 का किया बहिष्कार, ANC ने तीखा प्रत्युत्तर दिया

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अमेरिका और दक्षिण अफ्रीका के बीच कूटनीतिक तनातनी ने एक नया मोड़ ले लिया है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने जोहानसबर्ग में 22–23 नवंबर 2025 को होने वाले G20 शिखर सम्मेलन के बहिष्कार की घोषणा कर दी है। ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट में कहा कि दक्षिण अफ्रीका में श्वेत अफ्रीकन किसानों के खिलाफ मानवाधिकार उल्लंघन हो रहे हैं और ऐसी परिस्थितियों में अमेरिका वहां आयोजित किसी वैश्विक सम्मेलन में भाग नहीं लेगा। उन्होंने इस आयोजन को “शर्मनाक” बताते हुए यह भी सुझाव दिया कि अगले वर्ष 2026 का G20 सम्मेलन अमेरिका के मियामी शहर में आयोजित किया जाए। ट्रंप के इस बयान के बाद वैश्विक कूटनीति में हलचल मच गई है।

दूसरी ओर, दक्षिण अफ्रीका की सत्ताधारी पार्टी अफ्रीकन नेशनल कांग्रेस (ANC) ने ट्रंप के आरोपों को पूरी तरह खारिज करते हुए कहा कि ये बयान “झूठे, नस्लीय और साम्राज्यवादी दखल” से प्रेरित हैं। पार्टी ने अपने आधिकारिक बयान में कहा कि दक्षिण अफ्रीका एक स्वतंत्र और संवैधानिक लोकतंत्र है जहाँ कानून का शासन सर्वोपरि है, और किसी विदेशी नेता द्वारा देश की आंतरिक नीतियों पर इस तरह टिप्पणी करना अनुचित और गैर-जिम्मेदाराना है। ANC ने आगे कहा कि ऐसे आरोप जानबूझकर देश की वास्तविकता को तोड़-मरोड़ कर पेश करने का प्रयास हैं और यह अफ्रीकी गरिमा को ठेस पहुंचाने वाला है।

दोनों देशों के बीच यह तनाव कोई नया नहीं है। पिछले कुछ महीनों में भी अमेरिका और दक्षिण अफ्रीका के बीच कई नीतिगत असहमति और राजनयिक मतभेद देखने को मिले हैं। अमेरिका ने पहले भी दक्षिण अफ्रीका की विदेश नीति, विशेषकर रूस और चीन के साथ उसके संबंधों पर सवाल उठाए थे। इस बहिष्कार के बाद यह स्पष्ट हो गया है कि दोनों देशों के रिश्ते और भी जटिल दिशा में जा रहे हैं।

ट्रंप के इस फैसले के बाद अफ्रीकी देशों और अंतरराष्ट्रीय समुदाय की प्रतिक्रियाएँ भी सामने आई हैं। अफ्रीका के कई नेताओं ने अमेरिका की इस कार्रवाई को “अनुचित राजनीतिक कदम” बताया है, जबकि कुछ पश्चिमी विश्लेषकों का मानना है कि यह कदम अमेरिकी घरेलू राजनीति से प्रेरित है। इससे G20 सम्मेलन के एजेंडे और वैश्विक मुद्दों पर सहमति बनाने की प्रक्रिया पर भी असर पड़ सकता है, खासकर तब जब यह सम्मेलन जलवायु परिवर्तन, वैश्विक अर्थव्यवस्था और दक्षिणी देशों के विकास सहयोग जैसे विषयों पर केंद्रित है।

विशेषज्ञों के अनुसार, अमेरिका के इस बहिष्कार का सीधा प्रभाव दोनों देशों के व्यापारिक और कूटनीतिक संबंधों पर पड़ेगा। इससे न केवल G20 की बहुपक्षीय चर्चाओं में अमेरिका की भूमिका सीमित होगी, बल्कि अफ्रीका में अमेरिकी प्रभाव भी कमजोर पड़ सकता है। आने वाले हफ्तों में दोनों देशों के बीच दूतावास स्तर पर वार्ता और प्रतिक्रियाएँ इस विवाद की दिशा तय करेंगी। यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या आने वाले महीनों में यह विवाद सुलह के रास्ते पर जाता है या दोनों देशों के रिश्ते और ठंडे पड़ते हैं।

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