अहमद अल-शरा का ऐतिहासिक अमेरिकी दौरा: 1946 के बाद पहली बार किसी सीरियाई राष्ट्रपति का व्हाइट हाउस आगमन

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सीरिया के राष्ट्रपति अहमद अल-शरा अपने ऐतिहासिक अमेरिकी दौरे पर वॉशिंगटन पहुंच गए हैं। यह दौरा कई मायनों में अहम है, क्योंकि 1946 में सीरिया की आज़ादी के बाद यह पहली बार है जब किसी सीरियाई राष्ट्रपति ने आधिकारिक तौर पर अमेरिका की यात्रा की है। राष्ट्रपति अल-शरा के स्वागत के लिए अमेरिकी अधिकारियों ने विशेष प्रोटोकॉल तैयार किया, जो दोनों देशों के बीच लंबे समय से जमी बर्फ को पिघलाने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।

इस यात्रा के दौरान अहमद अल-शरा व्हाइट हाउस में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प से मुलाकात करेंगे। दोनों नेताओं के बीच क्षेत्रीय सुरक्षा, आतंकवाद-विरोधी रणनीतियों, और सीरिया पर लगे आर्थिक प्रतिबंधों को लेकर विस्तृत बातचीत होने की संभावना है। सीरियाई सूत्रों के अनुसार, यह मुलाकात सिर्फ राजनीतिक नहीं बल्कि रणनीतिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह पश्चिम एशिया में स्थिरता और वैश्विक सुरक्षा के संतुलन को प्रभावित कर सकती है।

अल-शरा के दौरे से ठीक पहले अमेरिकी प्रशासन ने संकेत दिए हैं कि वह सीरिया पर लगे कुछ प्रतिबंधों की समीक्षा कर सकता है। विश्लेषकों का मानना है कि इस कदम के जरिए अमेरिका सीरिया को आतंकवाद-विरोधी गठबंधन में एक जिम्मेदार भागीदार के रूप में जोड़ने की दिशा में आगे बढ़ सकता है। वहीं सीरिया भी इस मौके को अपनी आर्थिक पुनर्निर्माण प्रक्रिया और अंतरराष्ट्रीय निवेश के लिए अनुकूल माहौल तैयार करने के अवसर के रूप में देख रहा है।

राष्ट्रपति अल-शरा की अमेरिका यात्रा के साथ ही सीरियाई गृह मंत्रालय ने देश में बड़े पैमाने पर सुरक्षा अभियान शुरू किया है। रिपोर्टों के अनुसार, इस दौरान आईएस से जुड़े कई संदिग्धों को गिरफ्तार किया गया है और भारी मात्रा में हथियार बरामद किए गए हैं। यह कदम अल-शरा की छवि को एक दृढ़ और निर्णायक नेता के रूप में पेश करने का प्रयास माना जा रहा है, जो देश के भीतर स्थिरता और कानून व्यवस्था बहाल करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

इस दौरे को ऐतिहासिक इसलिए भी कहा जा रहा है क्योंकि पिछले सात दशकों से सीरिया और अमेरिका के बीच संबंध तनावपूर्ण रहे हैं। गृहयुद्ध, प्रतिबंधों और कूटनीतिक अलगाव ने दोनों देशों के बीच विश्वास की खाई को गहरा किया था। अब इस यात्रा को उस खाई को पाटने की दिशा में उठाए गए साहसिक कदम के रूप में देखा जा रहा है। यदि यह वार्ता सफल रहती है, तो न केवल सीरिया की अंतरराष्ट्रीय स्थिति में सुधार होगा, बल्कि पश्चिम एशिया में स्थिरता के नए अध्याय की शुरुआत भी हो सकती है।

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