नई दिल्ली। देश की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने गुरुवार को स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) के एक कार्यक्रम में कहा कि डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (DBT) प्रणाली ने सरकार को भारी वित्तीय बचत करने में मदद की है। वित्त मंत्री के अनुसार, केंद्र सरकार ने डीबीटी के माध्यम से पिछले एक दशक में करीब 4.31 लाख करोड़ रुपये की बचत की है। यह बचत उन लाभार्थियों की पहचान में पारदर्शिता और फर्जी या डुप्लीकेट खातों को हटाने के कारण संभव हुई है, जिनके नाम पर पहले सब्सिडी और सहायता राशि जा रही थी।
वित्त मंत्री ने बताया कि डीबीटी योजना की शुरुआत के बाद से ही सरकारी योजनाओं की राशि सीधे लाभार्थियों के बैंक खातों में ट्रांसफर की जा रही है। इससे न केवल भ्रष्टाचार पर अंकुश लगा है, बल्कि सरकारी योजनाओं का वास्तविक लाभ भी सही लोगों तक पहुंचा है। उन्होंने कहा कि पहले सब्सिडी और योजनाओं के क्रियान्वयन में बिचौलियों और सिस्टम लीकेज के कारण सरकारी धन का बड़ा हिस्सा व्यर्थ चला जाता था, लेकिन अब इस व्यवस्था ने उस नुकसान को काफी हद तक रोक दिया है।
कार्यक्रम के दौरान एसबीआई ने वित्त वर्ष 2024-25 का डिविडेंड चेक सरकार को सौंपा। इस अवसर पर बैंक के चेयरमैन ने वित्त मंत्री को यह चेक सौंपते हुए बैंक के प्रदर्शन और सरकार की वित्तीय स्थिरता में योगदान को रेखांकित किया। वित्त मंत्री ने इस दौरान सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की भूमिका की सराहना करते हुए कहा कि “सरकार की डिजिटल पहल और बैंकों की भागीदारी ने भारत को एक पारदर्शी और जवाबदेह अर्थव्यवस्था की दिशा में आगे बढ़ाया है।”
वित्त मंत्रालय और नीति आयोग की रिपोर्टों के अनुसार, डीबीटी व्यवस्था के तहत अब तक करोड़ों लाभार्थियों को विभिन्न सरकारी योजनाओं का सीधा लाभ मिला है। जिन योजनाओं में डीबीटी लागू किया गया, वहां सब्सिडी के वितरण में पारदर्शिता आई है और प्रशासनिक लागत में उल्लेखनीय कमी हुई है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, इस पहल के कारण ‘मिडलमैन’ संस्कृति लगभग समाप्त हो गई है, जिससे जनता का भरोसा सरकारी योजनाओं पर और बढ़ा है।
डीबीटी को देश में सुशासन और वित्तीय अनुशासन का एक महत्वपूर्ण स्तंभ माना जा रहा है। विशेषज्ञों के अनुसार, इस प्रणाली ने न केवल सरकारी खर्च में सुधार किया है बल्कि आम नागरिकों को भी अपने अधिकारों के प्रति अधिक सशक्त बनाया है। हालांकि, ग्रामीण इलाकों में बैंकिंग पहुंच, तकनीकी समस्याएं और लाभार्थियों की पहचान से जुड़ी चुनौतियां अब भी बनी हुई हैं, जिन पर सरकार लगातार काम कर रही है।
डीबीटी के माध्यम से सब्सिडी और कल्याणकारी योजनाओं की पारदर्शी डिलीवरी ने भारत को डिजिटल प्रशासन के क्षेत्र में एक मजबूत उदाहरण प्रस्तुत किया है। वित्त मंत्री के अनुसार, यह पहल भारत की आर्थिक नीतियों की विश्वसनीयता को और सुदृढ़ करती है तथा देश को ‘लीकेज-फ्री’ शासन की दिशा में आगे ले जा रही है।













