टोयोटा-होंडा-सुज़ुकी का भारत पर भरोसा, बनेगा नया ऑटो मैन्युफैक्चरिंग हब

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भारत के ऑटो उद्योग को नई गति देने की दिशा में जापानी दिग्गज कंपनियां टोयोटा, होंडा और सुज़ुकी ने संयुक्त रूप से करीब 11 अरब डॉलर (लगभग 92,000 करोड़ रुपये) के निवेश की घोषणा की है। इन कंपनियों ने यह फैसला चीन पर अपनी निर्भरता घटाने और भारत को एक प्रमुख विनिर्माण एवं निर्यात केंद्र के रूप में विकसित करने की रणनीति के तहत लिया है। वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में हालिया बदलाव और चीन में बढ़ती राजनीतिक एवं व्यापारिक चुनौतियों को देखते हुए ये कंपनियां अब भारत को “एशिया के उत्पादन हब” के रूप में देख रही हैं।

सुज़ुकी मोटर कॉरपोरेशन इस निवेश का सबसे बड़ा हिस्सा ला रही है। कंपनी ने लगभग 8 अरब डॉलर के निवेश से अपनी भारतीय शाखा मारुति सुज़ुकी की उत्पादन क्षमता को मौजूदा 25 लाख यूनिट से बढ़ाकर 40 लाख यूनिट तक पहुंचाने की योजना बनाई है। इसके तहत कंपनी नई फैक्ट्रियों की स्थापना और इलेक्ट्रिक वाहनों के उत्पादन पर विशेष ध्यान देगी। वहीं टोयोटा मोटर कॉरपोरेशन ने भारत में 3 अरब डॉलर से अधिक के निवेश की घोषणा की है, जिसके तहत कंपनी 2030 तक 15 नए और उन्नत मॉडलों को भारतीय बाजार में उतारेगी। कंपनी का लक्ष्य अपनी बाजार हिस्सेदारी को मौजूदा 8 प्रतिशत से बढ़ाकर 10 प्रतिशत तक करना है।

होंडा मोटर कंपनी ने भी भारत को अपने इलेक्ट्रिक वाहन (EV) उत्पादन का वैश्विक केंद्र बनाने की दिशा में कदम बढ़ाया है। कंपनी 2027 तक भारतीय बाजार में अपने पहले इलेक्ट्रिक मॉडल की लॉन्चिंग करने की योजना पर काम कर रही है। होंडा का फोकस भारत से एशिया और अफ्रीकी देशों के लिए EV निर्यात बढ़ाने पर रहेगा।

विशेषज्ञों के अनुसार, यह निवेश केवल उत्पादन क्षमता बढ़ाने तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि यह भारत में ऑटो पार्ट्स और सप्लाई चेन सेक्टर को भी नई ऊर्जा देगा। कंपनियां अब स्थानीयकरण (localisation) बढ़ाने और पुर्जों की सप्लाई में चीन पर निर्भरता घटाने की दिशा में काम कर रही हैं। इससे भारतीय छोटे और मध्यम उद्योगों (MSMEs) को भी बड़ा फायदा होगा।

भारत सरकार की ‘मेक इन इंडिया’ और ‘प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (PLI)’ योजनाओं ने भी इन कंपनियों को भारत में निवेश के लिए आकर्षित किया है। सरकार की निवेश-मैत्री नीतियों, बेहतर बुनियादी ढांचे और लागत-प्रभावी श्रम बल ने जापानी कंपनियों को चीन से उत्पादन हटाकर भारत में केंद्रित करने के लिए प्रोत्साहित किया है।

उद्योग विश्लेषकों का कहना है कि यदि ये योजनाएं तय समय पर लागू हुईं, तो भारत वैश्विक ऑटोमोबाइल निर्माण और निर्यात का एक प्रमुख केंद्र बन सकता है। इससे लाखों नई नौकरियों के अवसर सृजित होंगे और भारत का ऑटो सेक्टर आने वाले दशक में अभूतपूर्व वृद्धि दर्ज कर सकता है।

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