अमेरिका की राजधानी वॉशिंगटन में हाल ही में आयोजित खालिस्तान समर्थक बैठक ने भारत विरोधी गतिविधियों को लेकर नई चिंता खड़ी कर दी है। बताया जा रहा है कि इस बैठक का आयोजन अमेरिका स्थित संगठन Sikhs for Justice (SFJ) ने किया, जो लंबे समय से ‘खालिस्तान रेफरेंडम’ नामक अभियान चला रहा है। यह संगठन भारतीय कानून के तहत प्रतिबंधित है और 2019 में भारत सरकार ने इसे गैरकानूनी घोषित किया था, जबकि 2024 में इस प्रतिबंध को अगले पांच वर्षों के लिए बढ़ा दिया गया। बैठक के दौरान संगठन ने भारत की नीतियों पर सवाल उठाते हुए कथित रूप से “पंजाब की आज़ादी” और “भारत के ट्रांसनेशनल दमन” जैसे नारों को आगे बढ़ाया।
SFJ की स्थापना अमेरिका में रहने वाले वकील गुरपतवंत सिंह पन्नू ने की थी, जो खुद भारत की वांछित सूची में शामिल हैं। माना जाता है कि यह संगठन विदेशी जमीन से भारत के खिलाफ प्रोपेगेंडा फैलाने और अलगाववादी विचारधारा को बढ़ावा देने का काम कर रहा है। हाल के महीनों में अमेरिका, कनाडा और ब्रिटेन में हुए कई ऐसे कार्यक्रमों में भारत के खिलाफ नारेबाजी और हिंसक प्रदर्शन देखने को मिले हैं। वॉशिंगटन में भारतीय दूतावास के बाहर तिरंगे का अपमान और विरोध प्रदर्शन जैसी घटनाओं ने भारत सरकार की चिंता और बढ़ा दी है।
सूत्रों के अनुसार, भारत ने अमेरिका से इस संगठन और इसके सहयोगियों पर सख्त कार्रवाई की मांग की है। हालांकि अमेरिकी प्रशासन का कहना है कि वहां अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार सुनिश्चित है, लेकिन भारत का मत है कि इस स्वतंत्रता का दुरुपयोग राष्ट्र विरोधी गतिविधियों के लिए नहीं होना चाहिए। इसी बीच, SFJ ने भारतीय मनोरंजन जगत के लोकप्रिय कलाकारों को भी अपने निशाने पर लिया है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, संगठन ने अभिनेता अमिताभ बच्चन और गायक-अभिनेता दिलजीत दोसांझ के खिलाफ धमकियां दी हैं। बताया जा रहा है कि हाल में एक सार्वजनिक कार्यक्रम में दिलजीत द्वारा अमिताभ बच्चन के पैर छूने की तस्वीर वायरल होने के बाद, SFJ ने इसे 1984 के सिख दंगों से जोड़कर विवाद खड़ा किया। इतना ही नहीं, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका में होने वाले दिलजीत के शो को रद्द करवाने की कोशिशें भी की गईं।
भारत सरकार और खुफिया एजेंसियां इस पूरे घटनाक्रम को गंभीरता से ले रही हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि यह बैठक सिर्फ एक सांस्कृतिक कार्यक्रम नहीं थी, बल्कि भारत विरोधी प्रचार को अंतरराष्ट्रीय मंच पर मजबूत करने की कोशिश थी। विदेशी धरती से चल रहे इस तरह के अभियान न केवल भारत की छवि को नुकसान पहुंचाते हैं, बल्कि प्रवासी भारतीय समुदाय के भीतर भी विभाजन पैदा करते हैं। नई दिल्ली ने साफ संकेत दिया है कि ऐसे संगठनों पर निगरानी और कूटनीतिक स्तर पर कार्रवाई जारी रहेगी ताकि किसी भी भारत विरोधी साजिश को पनपने से पहले ही नाकाम किया जा सके।













