गाज़ा शांति समझौता: पाकिस्तान भेजेगा सैनिक? कतर-तुर्किये समेत देशों से बातचीत में अमेरिका

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अमेरिका की मध्यस्थता में गाज़ा में शांति और स्थिरता बहाल करने की दिशा में एक नया प्रस्ताव सामने आया है। इस प्रस्ताव के तहत एक बहुराष्ट्रीय स्थिरीकरण बल (International Stabilization Force) तैनात करने की योजना बनाई जा रही है, जो युद्धग्रस्त गाज़ा में संघर्षविराम लागू करने, मानवीय सहायता पहुँचाने और अस्थायी प्रशासनिक व्यवस्था स्थापित करने में मदद करेगा। अमेरिका ने इस योजना के लिए कतर, मिस्र, टर्किये, इंडोनेशिया और अज़रबैजान जैसे मुस्लिम देशों से बातचीत शुरू की है। वॉशिंगटन का कहना है कि वह खुद सैनिक नहीं भेजेगा, लेकिन समन्वय और मानवीय सहायता की दिशा में सक्रिय भूमिका निभाएगा।

इसी बीच, पाकिस्तान का नाम भी इस मिशन से जोड़ा जा रहा है। पाकिस्तानी मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, सरकार और सेना के शीर्ष नेतृत्व के बीच इस प्रस्ताव पर चर्चा चल रही है। विदेश मंत्रालय ने कहा है कि गाज़ा में सैनिक भेजने या किसी अंतरराष्ट्रीय मिशन में शामिल होने पर फैसला देश के उच्च स्तर पर किया जाएगा। हालांकि, अभी तक इस पर कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया गया है। पाकिस्तान की भूमिका को लेकर देश के भीतर भी मिश्रित प्रतिक्रियाएँ देखने को मिल रही हैं — कुछ लोग फिलिस्तीन के समर्थन में इसे सकारात्मक कदम मान रहे हैं, जबकि कई विश्लेषक इसे संवेदनशील और राजनीतिक दृष्टि से जटिल मुद्दा बता रहे हैं।

अमेरिका जिन देशों से बातचीत कर रहा है, उनमें कतर, मिस्र और टर्किये की भूमिका सबसे अहम मानी जा रही है। कतर पहले से ही हमास और इज़राइल के बीच मध्यस्थता में सक्रिय रहा है, वहीं मिस्र गाज़ा के प्रवेश बिंदुओं और मानवीय राहत मार्गों पर नियंत्रण रखता है। टर्किये भी फिलिस्तीन के समर्थन में खुलकर बयान दे चुका है और संभावित गारंटर देशों में उसकी भागीदारी पर चर्चा चल रही है। अमेरिका इन देशों की मदद से ऐसा ढांचा तैयार करना चाहता है जिसमें गाज़ा में शांति बहाली के साथ-साथ नागरिक प्रशासन को स्थायित्व मिले।

दूसरी ओर, इज़राइल ने साफ कहा है कि किसी भी विदेशी बल की तैनाती उसके सुरक्षा हितों को ध्यान में रखकर ही की जाएगी। वह यह भी तय करेगा कि कौन-से देश इस मिशन में शामिल हो सकते हैं और किन्हें अनुमति नहीं मिलेगी। इस स्थिति में पाकिस्तान जैसे देशों की भागीदारी पर इज़राइल की स्वीकृति भी अहम कारक बन सकती है। वहीं अंतरराष्ट्रीय मानवीय संगठनों ने चेतावनी दी है कि गाज़ा में हालात अभी भी बेहद गंभीर हैं—खाद्य, दवा और पानी की भारी कमी है तथा लाखों लोग विस्थापन का सामना कर रहे हैं।

कुल मिलाकर, गाज़ा शांति योजना अभी अपने प्रारंभिक चरण में है। अमेरिका क्षेत्रीय सहयोगियों के साथ मिलकर एक बहुपक्षीय ढांचा तैयार करने की कोशिश कर रहा है, लेकिन कई मोर्चों पर असहमति बनी हुई है। पाकिस्तान की भूमिका इस प्रक्रिया में निर्णायक हो सकती है, मगर फिलहाल उसका फैसला लंबित है। यदि इस योजना पर सहमति बनती है, तो यह मध्य पूर्व में लंबे समय से चल रहे संघर्ष को विराम देने की दिशा में एक अहम कदम साबित हो सकता है।

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