मतदाता सूची पुनरीक्षण पर उठा विवाद, भाजपा बोली– पारदर्शिता से डरता है विपक्ष

👇समाचार सुनने के लिए यहां क्लिक करें

चुनाव आयोग ने देश के 12 राज्यों में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) के दूसरे चरण की घोषणा कर दी है। आयोग के अनुसार इस प्रक्रिया का उद्देश्य मतदाता सूची को और अधिक सटीक, पारदर्शी और अद्यतन बनाना है। इसके तहत पुराने रिकॉर्ड की समीक्षा, नए मतदाताओं के पंजीकरण और मृत या स्थानांतरित मतदाताओं के नामों को हटाने की प्रक्रिया चलाई जाएगी। आयोग ने कहा कि यह पूरी तरह से संवैधानिक और नियमित प्रक्रिया है, जिसका उद्देश्य मतदाता सूचियों की शुद्धता सुनिश्चित करना है।

लेकिन जैसे ही एसआईआर के दूसरे चरण की घोषणा हुई, देश के कई राजनीतिक दलों ने इस पर आपत्ति जतानी शुरू कर दी। कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, डीएमके और वाम दलों सहित कई विपक्षी पार्टियों ने आरोप लगाया कि चुनाव आयोग यह प्रक्रिया ऐसे समय में कर रहा है, जब कई राज्यों में राजनीतिक माहौल चुनावी है। विपक्ष का कहना है कि इस कदम से मतदाता सूचियों में हेरफेर की आशंका बढ़ सकती है और इससे निष्पक्ष चुनाव प्रक्रिया पर सवाल खड़े होंगे। कुछ विपक्षी नेताओं ने यह भी आरोप लगाया कि एसआईआर की आड़ में वैध मतदाताओं के नाम काटे जा सकते हैं, जिससे जन प्रतिनिधित्व प्रभावित हो सकता है।

वहीं, भारतीय जनता पार्टी ने इन सभी आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए विपक्ष पर पलटवार किया है। भाजपा ने कहा कि कुछ दल देशहित और पारदर्शिता से जुड़ी हर पहल का विरोध केवल राजनीतिक लाभ के लिए करते हैं। पार्टी के प्रवक्ताओं ने कहा कि मतदाता सूची की शुद्धता लोकतंत्र की बुनियाद है और यदि इसमें कोई सुधारात्मक प्रक्रिया हो रही है तो इसका स्वागत होना चाहिए। भाजपा नेताओं ने विपक्ष पर यह आरोप लगाया कि वह जानबूझकर चुनावी सुधारों को विवादित बना रहा है ताकि आगामी चुनावों से पहले भ्रम का माहौल तैयार किया जा सके।

चुनाव आयोग ने इस विवाद पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि एसआईआर प्रक्रिया पूरी तरह पारदर्शी ढंग से की जाएगी और इसमें सभी राजनीतिक दलों की भागीदारी सुनिश्चित की जाएगी। आयोग ने बताया कि प्रत्येक चरण की जानकारी सार्वजनिक पोर्टल पर उपलब्ध कराई जाएगी ताकि किसी भी मतदाता या दल को कोई भ्रम न रहे। आयोग ने यह भी कहा कि यदि किसी को मतदाता सूची में कोई त्रुटि या आपत्ति हो, तो वह निर्धारित प्रक्रिया के तहत शिकायत दर्ज करा सकता है।

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि एसआईआर को लेकर मचा यह विवाद आने वाले समय में और बढ़ सकता है, क्योंकि कई राज्यों में निकट भविष्य में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। ऐसे में मतदाता सूची से जुड़े किसी भी कदम का सीधा राजनीतिक प्रभाव पड़ना स्वाभाविक है। फिलहाल, आयोग ने कहा है कि एसआईआर के दूसरे चरण का काम तय समयसीमा में पूरा किया जाएगा और इसके बाद संशोधित मतदाता सूचियाँ सार्वजनिक की जाएंगी।

Leave a Comment

और पढ़ें