बिहार विधानसभा चुनाव से पहले राजनीतिक माहौल लगातार गर्माता जा रहा है। राज्य की राजनीति में सक्रिय विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) के प्रमुख मुकेश सहनी ने हाल ही में एक तीखा बयान देकर सियासी हलचल बढ़ा दी है। उन्होंने कहा कि “अस्वस्थ मुख्यमंत्री के हाथों में 13 करोड़ जनता का भविष्य नहीं सौंपा जा सकता।” यह बयान बिहार के मौजूदा राजनीतिक समीकरणों और नेतृत्व क्षमता पर सीधा सवाल उठाता नजर आया। सहनी ने कहा कि बिहार को अब ऐसे नेतृत्व की जरूरत है जो पूरी तरह स्वस्थ, ऊर्जावान और जनता के प्रति जवाबदेह हो।
मुकेश सहनी ने अपने बयान में बिना किसी का नाम लिए मौजूदा नेताओं के स्वास्थ्य और प्रशासनिक दक्षता पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि अगर राज्य का नेतृत्व कमजोर या अस्वस्थ हाथों में रहेगा तो बिहार का विकास प्रभावित होगा। सहनी ने यह भी कहा कि जनता अब जागरूक है और वह इस बार बदलाव का मन बना चुकी है। उन्होंने मतदाताओं से अपील की कि वे इस चुनाव में ऐसे नेता का चुनाव करें जो न केवल सक्षम हो, बल्कि बिहार के भविष्य को नई दिशा देने की क्षमता रखता हो।
वीआईपी प्रमुख ने यह भी स्पष्ट किया कि उनकी पार्टी इस चुनाव में जनता के हितों को सर्वोच्च प्राथमिकता देगी। उन्होंने कहा कि वे गरीबों, मल्लाह समुदाय और अन्य पिछड़े वर्गों के अधिकारों की लड़ाई लड़ते रहेंगे। सहनी ने कहा कि उनकी पार्टी का उद्देश्य केवल सत्ता हासिल करना नहीं, बल्कि सामाजिक न्याय और समान अवसर की व्यवस्था को मजबूत करना है। उन्होंने दावा किया कि बिहार में अब ऐसे लोगों की जरूरत है जो जाति और धर्म से ऊपर उठकर राज्य के विकास के लिए काम करें।
राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, मुकेश सहनी का यह बयान केवल विरोधियों पर हमला नहीं, बल्कि महागठबंधन के भीतर नेतृत्व को लेकर चल रही चर्चाओं का भी संकेत है। हाल ही में महागठबंधन ने तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री पद का चेहरा घोषित किया है, जिसके बाद से विपक्ष में कई तरह की प्रतिक्रियाएँ सामने आई हैं। सहनी का यह बयान उसी पृष्ठभूमि में देखा जा रहा है और माना जा रहा है कि इससे गठबंधन की आंतरिक राजनीति पर भी असर पड़ सकता है।
बिहार की राजनीति में मुकेश सहनी का प्रभाव लगातार बढ़ा है। ‘सन ऑफ मल्लाह’ कहे जाने वाले सहनी ने अपने समुदाय के लोगों को संगठित कर एक नई राजनीतिक पहचान बनाई है। वे लंबे समय से सामाजिक और आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के हक की बात करते रहे हैं। उनकी पार्टी ने पिछली बार भी चुनाव में अच्छा प्रदर्शन किया था और अब वे महागठबंधन के भीतर एक मजबूत स्थिति हासिल करना चाहते हैं।
चुनावी मौसम के करीब आते ही बिहार की सियासत में आरोप-प्रत्यारोप का दौर तेज हो गया है। हर दल अपने विरोधियों पर निशाना साध रहा है और जनता के बीच अपनी बात रख रहा है। मुकेश सहनी के इस बयान से चुनावी बहस में एक नया मुद्दा जुड़ गया है — नेतृत्व की योग्यता और मुख्यमंत्री पद के लिए उपयुक्तता का प्रश्न। आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि इस बयान का असर मतदाताओं और गठबंधनों की रणनीति पर कितना पड़ता है।













