वियतनाम के प्रधानमंत्री फाम मिन चिन्ह (Phạm Minh Chính) ने 22वें आसियान-भारत शिखर सम्मेलन के दौरान दोनों पक्षों के बीच साझेदारी को और मजबूत करने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि भारत और आसियान देशों के बीच समुद्री सहयोग को बढ़ाना समय की जरूरत है। फाम मिन चिन्ह ने कहा कि भारत और आसियान के बीच आर्थिक, सामरिक और सांस्कृतिक संबंधों को नई दिशा देने के लिए समुद्री सुरक्षा, व्यापारिक संपर्क और जन-जन के बीच संबंधों को और प्रगाढ़ बनाना चाहिए। उन्होंने छोटे और मध्यम उद्यमों (SMEs), उच्च तकनीकी निवेश और उप-क्षेत्रीय साझेदारी को आगे बढ़ाने का भी सुझाव दिया ताकि क्षेत्र में संतुलित और टिकाऊ विकास सुनिश्चित किया जा सके।
शिखर सम्मेलन में भाग लेते हुए वियतनाम के प्रधानमंत्री ने कहा कि समुद्री सहयोग न केवल व्यापार और आर्थिक कनेक्टिविटी को बढ़ावा देगा, बल्कि यह क्षेत्रीय स्थिरता और समुद्री संसाधनों के टिकाऊ उपयोग में भी अहम भूमिका निभाएगा। उन्होंने कहा कि भारत और आसियान के बीच ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संबंधों को ध्यान में रखते हुए यह साझेदारी पारस्परिक विश्वास और सम्मान पर आधारित होनी चाहिए।
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस अवसर पर वर्चुअल संबोधन दिया और भारत-आसियान संबंधों की गहराई पर प्रकाश डाला। प्रधानमंत्री मोदी ने 2026 को “आसियान-इंडिया समुद्री सहयोग वर्ष” (ASEAN-India Maritime Cooperation Year) घोषित करने की घोषणा की। उन्होंने कहा कि इस वर्ष के दौरान भारत और आसियान देश समुद्री सुरक्षा, नौवहन, हरित समुद्री विकास और कनेक्टिविटी परियोजनाओं पर विशेष ध्यान देंगे। इस पहल का उद्देश्य क्षेत्रीय समुद्री चुनौतियों से निपटना और व्यापारिक संपर्कों को अधिक सुगम बनाना है।
शिखर सम्मेलन में सतत पर्यटन (Sustainable Tourism) जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर भी सहमति बनी। नेताओं ने एक संयुक्त वक्तव्य जारी कर कहा कि पर्यावरण-संवेदनशील और समुदाय-आधारित पर्यटन को बढ़ावा देना चाहिए, जिससे आर्थिक विकास के साथ-साथ स्थानीय समुदायों का हित भी सुनिश्चित हो। इसके साथ ही, अगले पांच वर्षों के लिए नई कार्ययोजना (Action Plan 2026–2030) को लागू करने और व्यापार समझौतों की समीक्षा की प्रक्रिया को तेज करने पर भी सहमति व्यक्त की गई।
कुल मिलाकर, इस शिखर सम्मेलन ने राजनीतिक संदेश के साथ-साथ व्यावहारिक दिशा भी तय की। वियतनाम के प्रधानमंत्री के सुझावों और भारत की 2026 की घोषणा से यह स्पष्ट संकेत मिला कि आने वाले समय में आसियान-भारत समुद्री साझेदारी और मजबूत होगी। इससे न केवल क्षेत्रीय व्यापार और सुरक्षा को नई दिशा मिलेगी, बल्कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र में स्थिरता और समृद्धि को भी बल मिलेगा।













