केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने जर्मनी की राजधानी बर्लिन में एक स्पष्ट और दृढ़ संदेश देते हुए कहा कि भारत किसी भी व्यापार समझौते को जल्दबाजी में या दबाव में आकर नहीं करेगा। उन्होंने कहा कि “भारत बंदूक की नोक पर कोई व्यापार समझौता नहीं करता”, बल्कि हर निर्णय देश के दीर्घकालिक हितों और ‘इंडिया फर्स्ट’ नीति के तहत लिया जाता है। गोयल इन दिनों यूरोप के दौरे पर हैं, जहां उन्होंने जर्मनी के कई शीर्ष अधिकारियों, व्यापारिक संगठनों और उद्योगपतियों से मुलाकात की है।
अपने बर्लिन दौरे के दौरान पीयूष गोयल ने जर्मनी की अर्थव्यवस्था और ऊर्जा मंत्री काथरीना रीचे से मुलाकात कर दोनों देशों के बीच व्यापार, निवेश, तकनीक, हरित ऊर्जा और कौशल विकास के क्षेत्रों में सहयोग को बढ़ाने पर चर्चा की। बैठक में भारत और जर्मनी के बीच बढ़ते आर्थिक संबंधों और निवेश के अवसरों पर भी विस्तार से विचार-विमर्श हुआ। गोयल ने जर्मनी के छोटे और मध्यम उद्योगों (Mittelstand) के प्रतिनिधियों और प्रमुख औद्योगिक कंपनियों के सीईओ राउंडटेबल में भी हिस्सा लिया, जहां उन्होंने भारत में निवेश की संभावनाओं पर प्रकाश डाला।
पीयूष गोयल ने कहा कि भारत अपने आर्थिक हितों, उद्योगों और नागरिकों की भलाई को सर्वोच्च प्राथमिकता देता है। किसी भी व्यापारिक समझौते का उद्देश्य केवल संख्याओं का आदान-प्रदान नहीं, बल्कि दीर्घकालिक साझेदारी स्थापित करना है जो दोनों देशों के लिए लाभदायक हो। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि चाहे अमेरिका, यूरोपीय संघ या कोई अन्य साझेदार देश हो, भारत किसी भी प्रकार के बाहरी दबाव में निर्णय नहीं करेगा। भारत की नीति है कि सभी समझौते पारदर्शिता, समानता और राष्ट्रीय हितों के अनुरूप होने चाहिए।
जर्मनी में आयोजित इस बैठक के दौरान गोयल ने भारत को एक विश्वसनीय निवेश गंतव्य के रूप में प्रस्तुत किया और जर्मन कंपनियों को भारत में निवेश के लिए आमंत्रित किया। उन्होंने बताया कि भारत सरकार ने बीते वर्षों में व्यापार और निवेश को बढ़ावा देने के लिए अनेक सुधार किए हैं — जिनसे ईज़ ऑफ डूइंग बिज़नेस में सुधार हुआ है और निवेशकों के लिए एक अनुकूल वातावरण तैयार हुआ है। उन्होंने विशेष रूप से अर्धचालक निर्माण, हरित ऊर्जा, ऑटोमोबाइल, क्लीन टेक्नोलॉजी और डिजिटल मैन्युफैक्चरिंग जैसे क्षेत्रों में भारत-जर्मनी सहयोग की अपार संभावनाओं की ओर ध्यान आकर्षित किया।
पीयूष गोयल ने कहा कि भारत और यूरोपीय संघ (EU) के बीच चल रही मुक्त व्यापार समझौते (FTA) की वार्ताएं लगातार प्रगति पर हैं, और जर्मनी इसमें एक महत्वपूर्ण साझेदार है। उन्होंने कहा कि भारत चाहता है कि इस समझौते का हर बिंदु दोनों पक्षों के सामाजिक और आर्थिक हितों का संतुलन बनाए रखे।
बर्लिन में आयोजित इस वार्ता के दौरान गोयल का जोर इस बात पर भी था कि भारत अब एक ऐसा देश है जो केवल उपभोक्ता नहीं बल्कि वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में एक अहम भागीदार बनने की दिशा में आगे बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि भारत आज नई औद्योगिक नीति, विनिर्माण विस्तार और तकनीकी निवेश के माध्यम से अपने आर्थिक भविष्य को सुरक्षित कर रहा है।
अंत में, गोयल ने यह दोहराया कि भारत किसी भी अंतरराष्ट्रीय या द्विपक्षीय दबाव में आकर निर्णय नहीं करेगा, बल्कि हर समझौते को देश की आर्थिक सुरक्षा और नागरिकों के हितों को ध्यान में रखते हुए ही आगे बढ़ाया जाएगा। उनका यह बयान न केवल भारत की कूटनीतिक दृढ़ता को दर्शाता है, बल्कि यह भी बताता है कि भारत अब आत्मविश्वास और आत्मनिर्भरता की दिशा में निर्णायक कदम बढ़ा चुका है।













