राजस्थान के कोटा में इस बार का दशहरा मेला इतिहास रचने जा रहा है। यहाँ 221.5 फीट ऊँचा रावण-पुतला लगाया गया है, जिसे देश का अब तक का सबसे ऊँचा पुतला माना जा रहा है। करीब 13 टन वजनी यह पुतला न सिर्फ दर्शकों के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ है बल्कि एशिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स और इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में दर्ज कराने की भी तैयारी की जा रही है। आयोजन समिति के अनुसार इसे बनाने में लगभग चार महीने का समय और लगभग ₹44 लाख की लागत लगी है।
इस विशाल पुतले को शिल्पकार तेजेंद्र चौहान और उनकी टीम ने तैयार किया है। पुतले की मजबूती के लिए स्टील-फ्रेम का उपयोग किया गया है, जबकि इसका चेहरा 25 फीट का फाइबरग्लास से बनाया गया है। इसके ऊपर वाटरप्रूफ कपड़े का इस्तेमाल किया गया ताकि बारिश और मौसम की मार से पुतला प्रभावित न हो। पुतले को मैदान में खड़ा करने के लिए भारी-भरकम क्रेनों और मजबूत आरसीसी नींव का सहारा लिया गया। आयोजकों का कहना है कि सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए हर संभव सावधानी बरती गई है।
इस बार रावण दहन में तकनीक का भी विशेष इस्तेमाल किया जा रहा है। पुतले में कई सेंसर और रिमोट-कंट्रोल्ड दहन-बिंदु लगाए गए हैं। इन्हें क्रमशः सक्रिय करके आतिशबाज़ी का अद्भुत नजारा पेश किया जाएगा। खास बात यह है कि इस बार पारंपरिक पटाखों की जगह ‘ग्रीन क्रैकर्स’ का उपयोग किया जाएगा ताकि पर्यावरण को कम नुकसान पहुंचे और प्रदर्शनी अधिक आकर्षक बने। दहन की पूरी प्रक्रिया को इस तरह डिज़ाइन किया गया है कि पुतले के अलग-अलग हिस्से क्रमशः आग की लपटों से घिरते जाएँ।
मौसम की चुनौतियाँ भी इस आयोजन का हिस्सा बनीं। राजस्थान के कई इलाकों में हो रही बरसात के बीच भी यह पुतला मजबूती से खड़ा रहा क्योंकि इसमें कहीं भी कागज़ का इस्तेमाल नहीं किया गया। आयोजकों ने बताया कि निर्माण में इस्तेमाल हुए फाइबरग्लास और वाटरप्रूफ कपड़े ने इसे बारिश से सुरक्षित बनाए रखा।
कोटा का राष्ट्रीय दशहरा मेला परंपरागत रूप से हजारों दर्शकों को आकर्षित करता है। इस बार यह विशाल पुतला मेले का मुख्य आकर्षण बना हुआ है। आयोजन समिति ने सुरक्षा, ट्रैफिक और भीड़ प्रबंधन के लिए विशेष इंतज़ाम किए हैं। साथ ही रिकॉर्ड बुक्स के अधिकारी भी मौके पर मौजूद रहेंगे ताकि पुतले की माप और आधिकारिक पुष्टि की जा सके। मेले में रामलीला, सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ और विविध मनोरंजन कार्यक्रम भी आयोजित किए जा रहे हैं।
कुल मिलाकर, इस बार का दशहरा कोटा के लिए खास साबित होने वाला है। 221.5 फीट ऊँचे रावण-पुतले ने न केवल समारोह को ऐतिहासिक बना दिया है बल्कि रिकॉर्ड दर्ज कराने की तैयारी से इसे राष्ट्रीय स्तर पर भी खास पहचान मिल रही है। पर्यावरण-अनुकूल पटाखे, तकनीकी दहन व्यवस्था और सुरक्षा उपायों ने इस आयोजन को और भी विशेष बना दिया है।
